दो घूट शराब के, दो पैक शराब के।
जब दिन अच्छे थे तो, शराब को बुरा कहते थे।
आज दिन बुरे है तो, शराब को अच्छा कहते है।
वाह कोरोना तूने,शराबियों की जमात दिखा दी।
मैख़ाने के नाम से नही, अब हमखाने से जानेंगे।
शराब लोग गम में पीते थे, आज साबित हो गया।
लाइन को गाली देना, गस खाकर गिर जाना, यह सब दिखावा बन गया। अब पीने वाला इंसान बन गया।
अमीरी गरीबी की दीवार बानी थी कभी ये शराब।
शराब की तड़प ने सब को, मैख़ाने के सामने खड़ा कर दिया।
सरकार की पोल खुल गई कि वह भी, शराब से जिंदा रहती थी।
बियरबार, रेस्तरां, होटलों में छुपी थी शराब, अभी तो सिर्फ ठेके में दिखी है शराब।
वाह रे कोरकना तूने शराबियो की औकात दिखा दी।
जमाने को बता दिया तूने, शराबी तूफान ओलो से भी लड़ सकता है।
बिना शोर मचाए लाइन में खड़ा रह सकता है। और यह भी बता दिया की यह शराब ही, अर्थव्यस्था की ताकत है।
कोरोना ने यह साबित कर दिखाया शराब देंश की जननी नही जान है सरकार की।