लक्ष्मी पुत्र पधारे है।
घरती पुत्र के जाने से, लक्ष्मी पुत्र पधारे है।
खाने पीने की नही थी कमी, ऐसी भी लगवाए थे।
टाल मटोल करती सरकार, हारी अपनी बातों से।
कर निजीकरण नेता नीति से, सरकारी संस्थानों को।
रेल झेल रही अडानी को, डिजिटल मुकेश अम्बानी को।
पाँव पसरे टाटा ने, ले हवाई जहाज की उड़ानों को।
लिया लपेटा बैंकों को, सड़को में लक्ष्मी पुत्र पधारे है।
हिंदी भाषा गुम हुई राजमार्गो से, अंग्रेजी अब पधारी है।
बैंक बचाओ, देश बचाओ, गूँज उठी आवाजे अब राजपथ और गलियारों में।