"तुम दिन को दिन कह दोगे, तो रात को हम दोहरायेंगे" आज वही रात अलग होकर नाइट कर्फ्यू बनी। इस गाने की वजह से किसी ज्ञानी मानव ने उपरोक्त गाने के बोल को समझा और नाइट कर्फ्यू को भी कोरोना कर्फ्यू बना दिया।
जिसमे मानव के हालात, जज़्बात सब स्थिरता की ओर कदम बढ़ाए हुए है। कोरोना वक्त बे वक्त उन्ही हालात और जज्बातों को कफ़न ओढ़ाए हुए है। न कब्र में न शमशान में जगह है। सभी को सी.एन. जी की भट्टी में जलाए हुए है। सारे नाते रिश्ते धरे के धरे राह गए, जिन्हें जाना था वह कोरोना में चले गए। कभी मौत के आकड़ो को छुपाया गया। आज उन्ही मौत के आकड़ो को खुद की जुबान में लाने लागे। तस्वीर अजीब से बन गई देश की रेल, जहाज सब डगमगाए हुए है। न अर्थ है, न व्यवस्था अब सभी ब्यर्थ में अर्थव्यवस्था को समझाए पड़े है।