कलयुग
पैदल चल, हल जोत किसान, साइकिल से रफ्तार बढ़ाई।
गुरुकुल पढ़, संस्थान बनाई, डिजिटल से रफ्तार बढ़ाई।
घोड़ा गाड़ी, बैलगाड़ी, रथ छोड़ ऑटोमेटिक रेल बनाई।
रह कच्ची झोपड़ी, तजि माटी, ईट पत्थर से महल बनायो।
गोधूलि बिसरायो, खेत ठुकरायो, कम्पनी में काम बढ़ायो।
तजि देशी खानपान, फास्ट फूड, kefc जोमैटो अपनायो।
देश मे इतना सबकुछ होते हुए, खिलौने चीन से मगवायों।
खोद जमीन jcb से मजदूरों को फरूहा कुदाल छुटायो।
अब साइकिल सड़क पर नही रेलवे ट्रैक पर दौड़ेगी।
बना कुल्हाड़ी मशीनों को अपने ही पैरों में मरवायों।
सतयुग की सावित्री, त्रेता के राम, द्वापर के कृष्ण।
कल(मशीनरी) युग (समय) अब इंसान घबराओ है।