हीरा था, हीरा है देश हमारा।
जौहरी पहचान न सका, उस हीरे को जो उसके नजरो के सामने था। हीरा की भी गलती थी, वह भी जौहरी से कह न सका, मैं हीरा हूँ।
एक दिन काँच समझ कर जौहरी ने फेंक दिया कूड़े के ढेर में। देर सबेर हीरा एक बच्चे के हाथ मे वह भी उसे उठा लाया कूड़े के ढेर से कंचा समझ कर।
लोग आज भी कन्फ्यूज है कि हीरा तो विक्टोरियं ले गई। लाल पत्थर को लाल किला, सफेद पत्थर को ताजमहल। सदियों पहले से यमुना बहती रही इनकी परछाई को छूकर।
शिव की जटा में गिर गंगा, कर पवित्र राम के चरणों को प्रयाग, काशी, गया से बढ़ आगे, मिल क्षीरसागर में दूध दूब से नहलाती भारत को, गिर सागर में नमकीन हो गई। ऐसा है, देश हमारा। हीरा था, हीरा है, देश हमारा कब तलक राजनीति इसे कूड़ा का ढेर बनाएगी, उस ढेर में भी हीरा चमकेगा।