कुर्सी का टोटका।
बनी भी कुर्सी, लकड़ी काठ लोहा प्लस्टिक की।
राजगद्दी, जयमाला कुर्सी, राजनेता, बाबुओं की।
चली गोलियां कभी मैदानेजंग में कुर्सी के खातिर।
अपने रूठे, गैर रूठे, रूठा जग-संसार कुर्सी के लिए।
जातिपाँति भेदभाव ऊँचनीच का बटवारा करती कुर्सी।
तेरी कुर्सी-मेरी कुर्सी फिरभी किसी की हुई ना कुर्सी।
कुर्सी अनगिनत पदों से भी, जानी जाती इस जग में।
रजवाड़े, महफ़िल, कोर्ट, संसद में,यह सब खेल कुर्सी का।
बिगबॉस कौन बनेगकरोडपति? इनमें भी खेल कुर्सी का।
चार पैर इस कुर्सी के, अनेक स्वरुपों में सजती है कुर्सी।
कही कोई छीन ना ले कुर्सी, इसका डर भी सताता है।
झगड़ा कुर्सी का, रगड़ा कुर्सी का, शान बड़ा है कुर्सी का।