जान अभी बाकी हैं |
हरि को नहीं देखा इंसान बनाते हुए|
इंसान को देख हैं हरि को बनाते हुए |
अमीरों की लकड़ियाँ उनकी अस्थिमंजर हैं|
उनकी अस्थिमंजर गरीबो की छत्र छाया हैं |
गौर से देखा उनको चौक-चौराहो मे बैठे हुए|
सवार ट्रक मे ढ़ोल लंगाड़ो मे रंग गुलाल उड़ाते हुए|
जल समाधि की वजह से उनकी काया बदल गई|
बची अस्थिमंजर से बस्तियाँ बन गई नदी के किनारे|
इसी वजह से इन्हे हरिजन बस्तियाँ कहते हैं लोग |
कभी फरमान जारी होते हैं कोर्ट और सुप्रीमकोर्ट से|
उनकी अस्थिमंजरों को रौंदता हुआ बुलडोजर गया|
देख टूटी हरि की अस्थिमंजरों को हरिजन चिल्लाया|
रहमखाओ हरि के ऊपर जिसने इंसानी काया बनाया |
सच आज भी गुमनाम हैं कहानियो और इतिहासों से |
हरि को नहीं देखा इंसान बनाते हुए|
इंसान को देख हैं हरि को बनाते हुए |