कदम नाचते है।
बचपन की बातें अक्सर दोहराई जाती हैं जो कभी भूलती नही वह दिमाग के किसी कोने में यादों की फटी चादर से झाँकती रहती हैं। जब भी मौका मिलता झिरी से दिखने वाले छेद से बाहर निकल कर नए नए किस्सो को पैर दे कर वापस कही गुम हो जाते है फिर कभी लौट कर आने के लिए।
मौसम वही सुहाना जो मन को भाए दिमाग को ताजा कर जाए। तेज धूप में पीपल बरगद की छांव में जमीनी धूल में नन्हे-नन्हे पाँव अपने निशान छोड़ कर धूल में ट्रैक्टर के पहिए के निशान बनाए जा रहे थे। सामने से छाव दौड़ लगाए और उसके पीछे से धूप भागी चली आ रही थी। दूर जोते खेत में टिटिहरी का जोड़ा इधर से उड़कर उधर बैठता वह अपनी आवाज़ में एक दूसरे को कुछ समझा रहे थे।वह कभी उड़ान भरते हुए एक दूसरे का पीछा करते समय एक दूसरे के ऊपर आ जाते। यह देख पीपल की छाँव में कदम ठहर से गए । एक काला नाग जोते खेत मे सरपट भागा चला जा रहा था उसी के ऊपर टिटहरी का जोड़ा अपनी आवाज़ से नाग के भागने को स्पीड दे रही थी। बकरियां अपने कानों को खड़ा किए हुए बरगद की छांव में आकर अपनी गर्दनों को अपनी नुकीली सींगो से खुजला रही थी। काला नाग मूँज पतवार में खो गया। बकरी फिर से खेत मे गई।टिटहरी की आवाज़ शान्त हुई। बचपन का शरारती दौर शुरू हुआ। जिधर टिटहरी चिल्ला रही थी वह जहाँ उड़ रही थी वही बचपन की टोली जोते हुए खेत का मुआयना करने लगी। सबके हाथ मे बाँस की हरी पतली सिटकनी, जो कभी-कभी बकरियों की पीठ पर दाग धब्बों को छोड़ जाती अभी वह खेत की मिट्टी को छिटकते हुए मूँज पतवार की तरफ भाग रहे थे। कि कुछ दूरी पर एक गोल गड्डा जिसमे काले सफेद चितकबरे गोल मटोल अंडे थे जिनकी संख्या तीन थी।वह अंडे देखने में बहुत सुंदर थे। उनको देख प्रमोद बोला ये टिटहरी के अंडे हैं यह नाचते हैं। सरला झट से बोली कैसे नाचते है? प्रमोद बोला रुक अभी नचा कर दिखाता हूँ। वह एक अंडे को नीचे दूसरे अंडे को बीच मे तीसरे को ऊपर टिकाया की बीच वाला अंडा नाचने लगा जितना तेज अंडा नाचता उससे कहीं ज्यादा तेज आवाज के साथ टिटहरी उड़ान भर कर चिल्लाती। यह सभी देखने मे मस्त की सविता अचानक से चिल्लाई "काला नाग" सभी हड़बड़ाहट में अंडा छोड़ पीपल की तरफ भागे यह झूठ था पर पहले का डर था।सभी के कदम पीपल के नीचे ही रुके। बकरियां भी भागी। उधर एक टिटिहरी अपने अंडो के ऊपर अपने पंख फैलाकर बैठ गई। दूसरी दाना अपनी चोंच से उठाने लगी। अब सब धूल भरे गलियारे से धूल भरे पैरो के साथ कदम घर की दहलीजों में ठहरे । जंगल वाली बात सबके घर पहुँच गई। नाग वाली बात पर सभी को लगभग डॉट पड़ी। यह टोली अधिकतर साथ रहती । जंगल के बाद गली मोहल्ले में खड़े नीम की गाछ के नीचे बने चबूतरें में यह सब उछल कूद मचाते। इस उछल कूद में किसी न किसी की माँ आकर हाथ की चपेट देकर कान पकड़े घर की तरफ ले जाती। सजा के तौर पर कमरे में बंद कर सुलाने का बहाना होता वह भी थोड़ी देर का, बाकी माहौल फिर से बन जाता। काफी दिन बाद टिटहरी के साथ उसके दो बच्चे घूम रहे थे। सरला ने कहा इसका एक बच्चा मर गया होगा। प्रमोद ने कहा बीच वाले अंडे का बच्चा नाचने की वजह से मर गया होगा। सब ने उसकी बात मान लिया। और उन नन्हे-नन्हे बच्चों को दौड़ा-दौड़ा कर उड़ना सीखा दिया वह भी उड़ने लगे।