सच रो रहा
शिक्षित प्रशिक्षित
धरना और जेल मे।
नेता अभिनेता
संसद और बुलट ट्रेन मे।
एमेड बीएड
तले पकोड़ा खेतवा की मेड़ मे।
योगी संत महत्मा
सेलफ़ी लेवे गंगा की धार मे।
बोले जो हक
की बात वह भी जिला कारागार मे।
बोले जो झूठ
मूठ वह बैठे सरकारी जैगुआर मे।
कर ज़ोर जबरदसती
न्याय को खा जाएंगे।
की अगर हक
की बात तो लाठी डंडा खा जाएंगे।
अनपढ़ लट्ठ
गवार नेता दो लाख सेलरी पाएंगे।
पढ़-लिख, बन होशियार, दस हजार सेलरी पाएंगे।
अब सच रो रहा
गली चौक, शहर के
गलियारों मे।
वर्दी, काले कोटो से शिक्षित प्रशिक्षित
घबरा रहा।
लेकर ऋण बैंको
से किसान अब खेती से काप रहा।
चोर उच्चके
माँ बहन-बेटियो की आबरू को नोच रहा।