कैश के जाते ही ऐश बंद हो गई हैं ।
टोल फ्री रोड हो गए ।
अब बियर बारों की भीड़ बैंक मे चली गई।
मजदूरो का पी.एफ, मालिको ने जमा करा दिया।
पत्नियों ने मुश्किल वक्त मे खर्चा करने वाले पैसो को, मिया जी को पकड़ा दिया।
सड़कों मे लोग कम, पैसा ज्यादा घूम रहा हैं। जुए सट्टे अब सब बंद पड़े हैं।
महंगी गाडियाँ, दिल्ली की सड़को से गायब हैं।
पर एक बड़ी विडम्बना हैं, अमीर विलुप्त हैं, बड़े नोटो की तरह।
कम आमदनी मे गुजारा करने वाले बैंक की राह मे अड़े खड़े हैं।
नौजवान साथी 2000 हजार गुलाबी नोटो के साथ सेलफ़ी ले रहे हैं।
वाह रे जमाना गुलाबी नोटो ने लोगो को कुकुरमुत्ता बना दिया हैं।
वाह रे महात्मा गांधी जी आपने भी क्या चाल चली, लड़कियों का पिंक कलर ही चुरा लिया हैं।
कौन हैं करोड़ पति ये तो वक्त बताएगा? अब तो पत्नियाँ भी पतियों के सिर दबा कर पूछ रही हैं, मेरे वाले पुराने नोट बादल गए है क्या?
इतने नोट होने के बावजूद, बैंक वाले भी चकरा रहे हैं। सुबह से शाम तक पब्लिक को लाइन मे लगाकर स्याही मोहर ठप्पा मारकर थोड़ी-थोड़ी रकम पकड़ा रहे हैं। पूछते हैं मुरझाए चेहरे से, मुस्कान, कमल को दे दिया हैं क्या? अब से विलय हो रहा सबकुछ पहले जैसा हो रहा है।