हवा चली
शीतल पवन आती थी।
आँधी तूफान लाती थी।
अब हवा मे बीमारी हैं।
हवा अब वाइरस बन गई हैं।
वह अब पेड़, गली से नहीं,
लोगो के श्वास नली से निकलती हैं।
पतझड़ अब पेड़ो मे नहीं,
अब तो पतझड़ इंसानों मे दिखती हैं।
कटा पेड़ न्यूज मे दिखता हैं।
मरा इंसान कब्रुस्तान या समसान मे दिखता हैं।
पेड़ की टहनियाँ सूख कर खाद बनती हैं।
मानव की हड्डियाँ जल कर राख़ बनती हैं।