वर्षा क्या आई?
वर्षा क्या आई? दिल्ली की सड़के धसने लगी।
गाँव-कालोनी बाजार चौक-चौराहे पानी के बीच।
जहाँ न गया कभी पानी, वहाँ भर गया घुटवन पानी।
ठहरे हुए पानी मे जाती हुए कारे, छीटे उड़ाती हुई बाईक।
सुबह शाम मझा पानी मे उठा अपने पायचे, जाती हुई लडक़ी।
बस के आने से पानी हिलता, कांप किसी की दुकान में धुस जाता।
बना तालाबो में महल दुमहले, अब वर्ष के पानी को कहाँ ले जाते।
यह बात समझ आयी नही, द्वार द्वार जब तालाब बने।
वर्षा क्या आई? नीव दिवार तालाबो की हिलने लगी।
सीवर पाइप लाइन, जलबोर्ड पाईप लाईन की पोल खुलने लगी।