और कितनी दूर
पूछू गर एक सवाल माँ से मै कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ?
यह शायद ही माँ बता पाए तू कौन हैं, कहाँ से आया हैं?
बस वह अपनी व्यथा ही कह सकती, तू कैसे आया हैं?
हैं इश्क हमे उनसे बस एक रात का, हम बिस्तर हुए|
रात याद हैं मुझे जबसे धड़कने बढ़ी,और तू बढने लगा|
हा मेरी कोख मे पलने लगा नवे माह गोद मे लिया तूझे|
ममता के आँचल मे छुपाती स्तनपान कराती लोरी सुनाती|
बाहों मे झुलाया पकड़ा अपनी ऊंगाली चलना सिखाया |
कराती बड़े लाड़ से सुबह का नास्ता स्कूल भेज आती|
खिला शाम का भोजन, सोचती रात भर कब बड़ा होगा?
कर बड़ा अपनी ममता की आँचल मे, कालेज पढ़ने भेजा|
कर लिया तूने भी इश्क लाली से जैसे मैंने उनसे किया |
कर ब्याह तेरा उस लाली से अपने जैसा उसे बना दिया |
अंत मे तूझे ही छोड़ चली,अब क्या बचा मेरा इस जमाने मे?