सब कुछ एक पल के लिए।
मरना जीना सब हरि विधाता के हाथ मे।
यस अपयश कर्म सब मानव के हाथ मे।
हवा पानी मिट्टी आँग आसमान सब बिधाता ने अपने मन से बनाया।
रेल बस जहाज ट्रक मोटर साइकिल कार मानव अपने कर से बनाया।
इन सब की अधिकता विनाश का कारण है पर जननी सबकी घरती है।
बीमारी महामारी ज्वाला भूकम्प जलजला तूफ़ान सब से सामना करना मानव का काम है।
वायरस अणु परमाणु गोला बारूद धनुष तीर बन्दूक तलवार सभी घातक मानव के लिए।
मानता हूँ जान की रक्षा करते है सभी तो कही खून के प्यासे है सभी।
ज्ञानी विज्ञानी डॉक्टर मास्टर कंडेक्टर सिपाही डाकिया मिस्त्री मकेनिक सभी रहते समाज मे।
नेता अभिनेता हर रोल को जीते है जनता जनार्दन की भीड़ में।
हर चीज से हार कर जो बना है गरीब मजदूर भटकता है दर-दर की ठोकरे खाते हुए।
जानती है विधाता इन्हें भी इनके कर्म से पर अफसोस कहती नही किसी से।
छीन लेती है एक दिन सभी से सबकुछ दिखाकर ऊँचे ख्वाबों को।
हरि हारकर बनाता है क़िस्मत सभी की किसी को आगे सुख तो पीछे दुःख।