सोच बदलो।
रोज़ रोज के शिसकने से अच्छा, एक दिन जी भर कर रो ले।
सरकार की नीयत में खोट से, बेरोजगारी को निःसंकोच झेल ले।
धरना प्रदर्शन को कोरोना वायरस ने, मूली की तरह निगल लिया।
लोकडाउन भी अब, अनलॉक डाऊन में सरकार ने बदल दिया।
एडमिशन पेपरों को लेकर, सरकार अड़ गई, विद्यार्थियों ने पहचान लिया।
नई शिक्षा नीति के घेरे में आकर, स्कूल कालेजों में जो बदलाव आए है।
रेल भी अब दौड़ेगी 130 की स्पीड में, जंग खाई पटरियों से।
देश की अर्थव्यवस्था भी, आत्मनिर्भर बनने से सुधर जाएगी।
पूंजीपतियों के प्रकोप से नेटवर्क कमजोर हो गए 30दिन का महीना 28 का हो गया।
दूध, सब्जियां, फल फूलों को अब रेल लेकर आएगी स्टेशनों में रुकती जयेगी।
कहाँ खोए हो पुराने ख्यालातों में, देश डिजिटल युग में बदल रहा है।
सोच बदलो मसीनों को अपनाओ, काट कर अपने हाथ को, देश को पेरिस बनाओ।