पता चला है।
पता चल गया अम्बानी अमीर कैसे हो रहा है?
स्कूल फीस मांग रहा, माँ बाप का डाटा जिओ खा रहा।
लाईन में दुनियाँ आ गई, ऑनलाइन सब काम हो रहा।
मौसम बेतुके हो गए, बेरोज़गारी का जामा ओढ़ कर।
पढ़े लिखे विद्वान, कलम तख्ती छोड़कर आई फोन में खो गए।
अभी पूंजीपतियों की रेल सरपट दौड़ी नही, आशियाना उजाड़ने का फरमान आ गया।
सुना है श्रमिक रेल फिर चलेगी, हो अगर जिद्दी लड़की तो राजधानी जरूर चलेगी।
कौन किससे झुकेगा ये तो वक्त बतलाएगा।
सुना था हिरोईन में नशा होता है, ये सब ड्रग्स में कब बदल गई।