बेटी की जाति नही।
सारे जहाँ से अच्छा हिदुस्तान हमारा यह लाईन सुनने में भले ही सुंदर लगती हो। यह लाईन भी दिल को झकझोर देती है कि हमारी संस्कृति सबसे सर्वोपरि है। हमारे यहाँ बेटी की जाति नही होती यह समाज कहता है। लेकिन जैसे ही हमारे समाज में बेटी की जीभ काट दी जाती है, रीढ़ तोड़ दी जाती है, रेपकरके छोड़ दिया जाता है। वैसे ही वह बेटी दलित हो जाती है यह कहाँ का न्याय है?
जिस जाति के लोगो ने रेप किया वह बेटी उसी जाति की बन जानी चाहिए। तब उस परिवार की दूसरी बेटी की छवि क्या होगी? उन बहन बेटियो को सामने आकर उन्हें वह सजा दे जिससे उनकी रूह कांप जाए।
अगर यह मान लिया वह दलित है। हम सवर्ण है तो समझो आपने अपने लिए एक नाग और पाल लिया, वह कभी आपको डस लेगा। जिसे आस्तीन का साँप कहकर बच नही पाओगे।
मनीषा और न जाने कितनी मनिषाओ का रेप होगा मनीषा नाम दलित नही है वह एक पहचान हैं।