रहा, न कैद में।
सुवा कैद में रहकर उड़ान भरने की कोशिश करता है।
कबूतर ऊँची उड़ान भरकर कैद में खुद चला आता है।
उड़ना दोनो चाहते है इस दुनीयाँ में, आदत जो है उड़ने की। एक बंधन तोड़ना सिखाता है दूसरा बंधन में जुड़ना सिखाता है। वही मुर्गा सभी को जगाने की कोशिश किया जिसकी वजह से उसे हलाल होना पड़ा।
कुत्ता वफ़ादार होते हुए भी उसे एक टुकडा निवाले के लिए दण्डवत प्रणाम करना पड़ा। भालू कितना खूँखार होते हुए उसे मानव के इशारे में नाचना पड़ा। बन्दर की छलांगे रस्सियों में कैद हो गई। बुलबुल को मानव की उंगलियों में बैठकर गाना पड़ा। इतने जहरीले सर्प को भी पिटारे में रहकर बीन के सामने फन को हिलाना पड़ा। शेर भी कैद होकर चिड़ियाँ घर की शान बना। इनकी बात क्या करे इनमें तो जान थी? उस बेजान कठपुतली को देखो जो मानव के उंगली के इशारे में नाचती है।