नैनों से दिल में उतर गई|
दिल में थी सुबह, शाम कर गई |
बहे नीर रातों में उसके लिए|
गीला बिस्तर वह कर गई|
बदलते रहे करवटे रात भर |
न उसका कोई न अपना कोई|
नैनों से दिल में उतर गई|
दिल में थी सुबह, शाम कर गई |
बड़ी मुद्दतो से बसाई तस्वीर उसकी अपने आँसूओ
में|
पूछ न सके उसका पता, दिल पर कई वार कर गई|
नैनों से दिल में उतर गई|
दिल में थी सुबह, शाम कर गई |
थी वह हसीना पहाड़ो वाली|
गुजरती जब भी वह हमारी गली से|
बजती उसके पैरो की पायल घायल कर गई|
दर्द दे न सकी दिल को, चेहरे में एक मुस्कान दे
गई|
नैनों से दिल में उतर गई|
दिल में थी सुबह, शाम कर गई |
जीवन साज बुनु मै, ढूँढू फिर से वही नैन|
मनवा घूम-घूम कर बेहाल करे, जियरा का सुख चैन|
नैनों से दिल में उतर गई|
दिल में थी सुबह शाम कर गई|