हम जानते है।
हम जानते है कि सबकी अपनी जिंदगी है।
पर परिवार सबकी बिरीथिंग पावर है।
हम जानते है कि समुंदर का पानी पी नही सकते।
उसके शैलाब और उफान से दुनियां काँपती है।
हम जानते है अकेले जीने में मजा आता है।
मरने के बाद का जनशैलाब, खुद की पहचान होती है।
हम जानाते है अमीरी जामा बहुत सुंदर होता है।
वह सुंदरता भी गरीबो की मेहनत से झलकती है।
महल कितने भी सुंदर और ऊँचे क्यो न हो आपके?
अंतिम यात्रा में चार कंधो के सामने छोटे ही दिखते है।
मानव अपनी जिंदगी में किसी के सामने झुके या न झुके।
कर्ज फर्ज बीमारी के सामने खिलते फूल सा टूट जाता है।
इरादा बेइरादा ईर्ष्या मन मे प्रवेश कर जाती है।
छल कपट के साथ मान मर्यादा को ताक में रख देते है।
चंद लालच में जलती आँग में अपनों को झोंक देते है।
दीपक के जलने से अंधेरा भागता है यह सब जानते है।
फिर भी उसे बुझाने वाली बयार दौड़ी चली आती है।
दिन के सूरज को, रात के चाँद को भी छुपना पड़ता है।
वक्त के आगे सभी को झुकना पड़ता है की यह भी सब जानते है।