सब कुछ धरा में हैं .
सबकी कब्र यही हैं, मुमताज़,
बाबर,औरंगजेब,शाहजहाँ बस इनका शासन काल बदला।
सबकी पहचान यही हैं संसद,कोर्ट,इंडिया-गेट,क्रिश्चन,बस
इनका शासन काल गया हैं।
कांग्रेस मुक्त भारत हो
गया, उनके लोग अभी यही कटी मछली की तरह तड़प रहे है।
भाजपा अभी मौज़ ले रही है,
देश-दुनियाँ मे आग लगा रही अपनों को ही तड़पा रही है।
पढ़ लिख कर भारत से जो गया
कमाने विदेश, वह भी वापस भारत बेरोजगारी मे शामिल।
आने जाने का बहाना हैं,
न कोई आया हैं न कोई जाएगा अभी भी भारत गुलाम हैं किसी का।
फर्क हैं समझने का,
समझाने का, फेसबुक, वाट्ट्सेप, टिवटर, इन्स्टाग्रम, यह भी देन विदेशो की।
आपस मे अमन शांति रखो,
मत बर्बाद करो अपनी कमाई को जिसको सीचा खून पसीने से।
कब्रे,
समशान, पिरामिड, मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरद्वारा, आकार अनेक घर के दरवाजे एक हैं।
आदि अनंत से वास करने वाले
को आदिवासी कहते हैं, कमाने खाने जो आए भारत उन्हेNRCकहते
हैं।
भारत मे जाति धर्म,
ऊँच-नीच का समागम हैं सारे देश पिता हैं, पर भारत देश हमारी माता हैं।
धन्य हैं ऐसी माता जिसने अपने
ही जगह को चीर कर बटते-बाटते देखा पाकिस्तान, बंगाला देश को।
यह देश हैं वीर किसानो का,
जो एक ही खेत मे लाल सफ़ेद काला भूरा हरा पीला गुलाबी करती खेती फूलो की।
न मसलो उन फूलों को बहने दो
हवा अति सुंदर, जिससे तन मन सब हो सुगंधित रहे अमर सदा इस धरती पर।