पेड़ ही है, जो अपने ऊपर फल आने के इंतजार में आँधी, बारिश, तूफान सभी को झेलते है। उन्हें यह नही मालूम था कि, फल कोई और तोड़ ले जाएगा। सब कुछ लूट जाने के बाद पत्ते भी साथ छोड़ देते है। वह तो शाख है, जो साथ नही छोड़ती बस कोई कटे और तोड़े न। जमी के अंदर तो जड़े भी महफ़ूज रहती है। पेड़ किसी से कहते नही, बचपन के फेके गए गूरों की चोट सहते है।