चुनाव चिन्ह
जूता।
लोकलाज सब
त्याग, जूता निशान
बनाया।
झाड़ू से सफाई
कर, बाद मे जूता
दीना।
पढ़ लिख कर
मति बौराई, कौन इन्हे
समझाए?
लोक सभा चुनाव
से पहले जूता निशान बनाए।
हरि बैल,खेत-किसान, खत का निशान मिटाया।
वीर सपूतो
की फाँसी वाली रस्सी को ठुकराया।
उन वीरांगनाओ
को भूल गए जिसने खट्टे दाँत किये।
दिल्ली को
बना के चमचम, पूरे
देश मे जूता बाट दिए।
अब निशान घाँघरा-चोली
रब्बा-राम इनको बचाए।
बस चले चुनाव
आयोग का तो इनको भी बेच खाए।
बना जूता काँटो
मे चलने के लिए,
कौन फूल अब इनमे बरसाए?
पहले बना जूतो
का माला कौन इन्हे पहनाए?
वाह रे हरि!
कैसे पढे लिखो का ध्यान ज्ञान सब छीना?
सुख-चैन छीन किसान का, गन्ना-गुड, आलू खेत मे सड़ाया।