दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने यूपी के उन्नाव से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 363 (अपहरण), 366 (शादी के लिए मजबूर करने के लिए एक महिला का अपहरण या उत्पीड़न), 376 (बलात्कार और दूसरी संबंधित धाराओं) और POCSO के अंतर्गत दोषी ठहरा दिया गया है। इस मामले में आंकड़े लगाए जा रहे हैं कि अब आरोपी कुलदीप सेंगर को कैसी सजा दी जानी चाहिए तो चलिए हम आपको बताते हैं इस मामले में क्या होना है आगे?
कुलदीप सिंह सेंगर को मिल सकती है ये सजा
किसी अपराध की साजिश करना, अपराध को सुगम बनाने के आशय से संभवत उसके बारे में जानते हुए ऐसे भी अपराध की कल्पना करना या अवैध रूप से स्वेच्छा पूर्वक ऐसे अपराध को छिपाना या अपराध करने के तरीके का विस्तार करना भारतीय दंड संहिता की धारा 120 के अंतर्गत आता है। अगर ऐसा अपराध घटित होता है तो दोषी को किसी एक अवधि के लिए कैद रहने की सजा सुनाई जा सकती है। सजा की अवधि एक चौथाई तक बढ़ाई जा सकती है और इसके साथ ही दोषी को आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाता है। इसके अलावा अगर अपराध नहीं होता है तो भी दोषी को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाती है या उस पर आर्थिक दंड या दोनों लगाए जा सकते हैं। ये अपराध के साथ समझौते योग्य नहीं समझे जाते हैं। किसी भी महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी पर आईपीसी की धारा 376 के अंतर्गत मुकद्दमा चलाया जाता है। कोई पुरुष किसी महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे रेप या बलात्कार कहा जाता है। किसी भी कारण से संभोग क्रिया पूरी हुई हो या नहीं हुई हो लेकिन कानूनन उसे बलात्कार ही कहा जाएगा।
अपराध सिद्ध होने पर दोषी को कम से कम 7 साल और अधिकतम 10 साल की सजा दी जाती है। कई दुर्लभ मामलों में दोषी को उम्रकैद भी होती है और इसके अलावा आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति ने अपनी पत्नी के साथ बलात्कार किया है तो और उसकी उम्र 12 से कम नहीं है तो आरोप सिद्ध होने पर दोषी को दो सालों की सजा हो सकती है। उस पर जुर्माना भी लग सकता है। कई मामलों में अदालत पर्याप्त और विशेष कारणों से सजा की अवधि को कम कर सकती है। बलात्कार के समय अलग-अलग हालात हिसाब से इसे धारा 375, 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ के रूप में विभाजित किया जाता है।
क्या था पूरा मामला?
जून, 2017 में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने पीड़िता का अपहरण करके उसके साथ बलात्कार किया। वारदात के समय पीड़िता नाबालिग थी और यूपी के बांगरमऊ इलाके से चार बार विधायक रह चुके सेंगर को अगस्त, 2019 को बीजेपी से निकाल दिया गया था। इस मामले के तूल पकड़ने पर कुल 5 एफआईआर दर्ज कराई गई थी, सभी मामले कोर्ट में आज तक चल रहे थे। इसमें से एक पर कोर्ट ने फैसला सुनाया और बाकी की सुनवाई अभी भी चल रही है। इसमें पीड़िता के पिता की कस्टडी में ही मौत हो गई थी, सड़क दुर्घटना में उसके परिवार से दो महिलाएं मारी गईं और पीड़िता के साथ किए गए गैंगरेप और उसके चाचा के खिलाफ कथित रूप से झूठा मामला दर्ज किया गया।