झगड़ा ख़त्म।
रातों की नींद में दखल देना चारों की आदत थी।गली के दोनो छोर में उनके घर अभी भी है। शैम्पी और कल्लो पूर्व दिशा संभालते, पश्चिम दिशा टफी और जुल्फी वह सब घर में सोते खाते रहते खेलते। इन चारों में टफी लंबा तगड़ा और गुस्से वाला था। वह शैंपी से बहुत जलता था। वह दिन में एक दो बार उससे झगड़ने जरूर जाता उनकी बक झक सुन घर वाले उन्हे अलग करने के लिए पानी की बौछार करते फिर भी एक दो झड़प हो ही जाती। टफी अपना सीना चौड़ा करते हुए अपने जीने में जाकर बैठ जाता।
होली वाली रात तो गजब ही हो गया। सभी होली ताप कर अपने घर जा रहे थे। जो भी निकलता वह उसे छेड़ते गली मोहल्ले वाले नादान समझकर छोड़ देते। लेकिन सबने प्लान बना लिया था की अगर इन्होंने कल आपस में लड़ाई की तो इन्हे सबक सिखाना ही पड़ेगा। उन्होंने ने भी होली वाले दिन झगड़े का प्लान बना रखा था। चारो ने सुबह से ताना कसी करते, एक दूसरे को देखकर टंट मारते। दोपहर के बारह बजने को थे। टफी अपने दोस्त जुल्फी के साथ शैंपी और कल्लो को ललकार दिया अब क्या दोनो तरफ से माहौल गरम कल्लो ने शैंपी को समझा दिया था। की आज के दिन कोई पुलिस केश नही बनेगा आज इनको सबक सिखा देते है।
चारो में गर्मा गर्मी शुरू हो गई। गली वाले तो चाहते थे की यह लड़े। उनकी लड़ाई शुरू हो ही गई। टफी ने आज शैंपी का गला चोक कर ही दिया। गली वाले उन्हे छूटाने के लिए उनके ऊपर रंग वाला पानी फेकना शुरू किया। गला चोक हो जाने की वजह टफी ने शैंपि को नाली में घुसेड़ ही दिया। कल्लो और जुल्फी लाख कोशिश किया अपने दोस्तो को समझाने का पर वह माने नही गली वाले ने भी सोच लिया आज आरपार हो जाने दो। इनका रोज रोज का झगड़ा ख़त्म हो जाए। टफी कई लोगो को ज़ख्मी करते हुए अपने जीने में जाकर बैठ गया। शोर शांत हुआ। झगड़े में गली से आने जाने वाले बच्चे भी डर से घबरा गए थे। वह तो अपने अपने घर में दुपक गए थे। गली में लोगो का हुजूम दिख रहा था। गली में रंग लगाए काफी लोग दिख रहे थे। सबकी जुबान में एक ही बात आज के दिन का कोई केस भी नही बनता। टफी ने मौके का फायदा उठाया है। बहुत दिन से वह शैंपी को मारने के फिराक में था।
शैंपी अब अपने कपकपाते शरीर को संभाल संभाल कर सभी को देख रही थी। उसकी हालत को देख कर टफी के घर वालो ने रात में उसे आठ सोने वाली गोली खिला दिया ताकि वह सो जाए। उसने उस दिन अपनी पलक तक नहीं झपकाया। यह देख टफी के घर वालो ने अगले दिन डॉक्टर को बुलाया उनसे सलाह मशविरा किया। डॉक्टर ने उसे बेहोसी का इंजेक्शन दिया। इंजेक्सन देने के करीब दो घंटे बाद उसकी आंखो में पट्टी बांध कर ई रिक्शे में बिठाकर उसे काफ़ी दूर छोड़ आए। डॉक्टर ने सुई लगाने का पांच सौ रुपया लिया। रिक्शे वाले तीन सौ रुपया लिया। टफी के जाने के बाद दिन में गली से काफी लोग आने जाने लगे है रात की नीद भी आने लगी। गली झगड़े वाले दिनों को याद कर सहम जाते। यह कहते है उसके जाने के बाद से गली में सौ शकुन है। टफी का शरीर और उसकी आंखे और उसकी आवाज का खौफ आज भी लोगो के दिलो में बसा है। उसने अपने घर के एक रिश्तेदार के बेटे को भी जख्मी कर दिया जिसका जख्म ठीक न होने से उनकी मौत भी हो गई थी। उस दिन से उसे घर वाले अपने घर से बेदखल करने की सोच ली थी। झगड़ा तो एक बहाना था। घर से बेदख़ल करने का और उसे कर भी दिया। इधर शिंपी कल्लो आराम से रहते है। और उधर जुल्फी अकेले अपने मन को मारकर जीने में लेटी रहती। टफी की याद में। इधर शैंपी और कल्लो अब गली वालो के सामने दिखा दिखा करके योग और खूब व्यायाम करती है। के