TAX को लेकर हर साल देश में कोई ना कोई बदलाव आता ही रहता है। कभी कोई सरकार अपने फायदे के लिए टैक्स बदलती है तो कभी कोई सरकार लेकिन इन सबमें आम आदमी पिस कर रह जाता है। आप कोई भी चीज खरीदते हैं जैसे Books, Biscuits, TV, Fan या पानी की बोतल और कुछ भी सर्विसेसज जैसे होटल रेस्टोरेंट, हर किसी को आपको टैक्स देना होता है। अब टैक्स में कुछ और भी बदलाव आ गया है जिसकी शुरुआत मोदी सरकार ने साल 2016 में की थी। इसका नाम GST, यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स। ये टैक्स तब लगता है जब हम किसी प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदते हैं। इस लेख में हम आपको What is GST in Hindi बताएंगे।
जीएसटी क्या है? | What is GST?
GST का पूरा नाम Goods and Services Tax होता है जिसे हिंदी में वस्तुएं और सेवा कर कहते हैं। भारत में जो पुराने कर के तरीके थे उनमें कुछ बदलाव करके जो लागू किया गया है वो ही जीएसटी है। Tax Expert के मुताबिक, ये कर भारत के कर के ढांचे को सुधारने के लिए बहुत बड़ा कदम है। ये एक इनडायरेक्ट टैक्स है और ये एक सिंगल टैक्स है जो लागू होने के बाद सारी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही कर लगना शुरु हुआ। भारत एकीकृत बाजार बन जाए उसी को जीएसटी कहते हैं। जो भी Indirect Tax थे जो Exise Tax, Service tax, Vat, Entertainment Tax वो सब जीएसटी के अंदर आ गए। जीएसटी लागू करने का अहम उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री पर लगने वाले टैक्स पर हर सामान का पूरे देश में एक जैसा ही रेट होना है। देश में किसी भी जगह मौजूद कंज्यूमर को उस वस्तु का एक बराबर ही टैक्स चुकाना होगा।
पुरानी व्यवस्था में टैक्सों को लेकर काफी हेरा-फेरी हो जाती थी। जैसे किसी फैक्टरी से माल निकला तो उसपर उत्पाद शुल्क यानी Excise Duty लगती थी। कई बार कई सामान पर ज्यादा कर लगा दिया जाता था और यही माल अगर एक राज्य से दूसरे राज्य भेजा जाए तो राज्य में घुसते ही Entry Tax देना होता था इसके अलावा जगह-जगह चुंगियां अलग होती थी। जब माल बिकने की बारी आती तो सेल्स टैक्स देना होता था और कई मामलों में परचेस टैक्स भी लगता था। सामान अगर विलासिता से जुड़ा हुआ है तो लक्जरी टैक्स लगता था। होटलों में वो सामान उपलब्ध कराया जा रहा है तो सर्विस टैक्स अलग से। मतलब ये है कि कंज्यूमर के हाथों माल पहुंचने तक उन्हें कई करों से गुजरना होता था। इस तरह से ग्राहकों तक पहुंचते-पहुंचते उसके रेट इतने हाई हो जाते थे कि उन्हें उसे खरीदने पर सोचना होता था। GST लगने के बाद लोगों को इन सब चीजों से थोड़ी राहत तो मिली।
क्यों बनी जीएसटी लाने की स्थिति? | What was Behind GST?
1. Indian Constitution में Indirect Tax संबंधी जो पुराने नियम थे उसमें वस्तुओं के उत्पादन और सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार सेंट्रल गवर्मेंट को दिया गया। जबकि वस्तुओं की बिक्री पर टैक्स लगाने का अधिकार स्टेट गरवर्मेंट को दिया गया।
2. सभी ने अपने-अपने हिसाब से नियम बनाए और अलग-अलग तरह की श्रेणियां चयनित की। इसी चक्कर में एक-एक सामान पर कई-कई टैक्स और कभी तो टैक्स के ऊपर भी टैक्स लगने की हालत बन जाती थी। छोटे व्यापारी और कंपनियां अक्सर इस नियम कानूनों में उलझ जाती थीं।
3. इन सभी परेशानियों को दूर करने के लिए GST को ऐसे एकीकृत कानून के रूप में लाया गया जिससे माल और सेवा दोनों के प्रोडक्शन से लेकर सेल्स तक पर लगाम लगाया जा सके।
4. प्रोडक्शन और सेल का अलग-अलग पेंच खत्म करने के लिए जीएसटी का सिर्फ एक आधार तय किया गया वो सप्लाई था। इसके लिए टैक्स कानूनों में बदलाव किया गया और संसद में संविधान संशोधन की प्रक्रिया अपनाई गई। इसके कारण जीएसटी कानून पारित होने के लिए लंबा समय भी लगा।
जीएसटी की अहम विशेषताएं | Major Features of GST
पुराने टैक्स सिस्टम में बहुत सारी कमियों के कारण मोदी सरकार ने जीएसटी लाने के बारे में सोचा और इसपर जमकर काम भी किया। साल 2016 में इस कानून को पारित किया गया और इस नए टैक्स सिस्टम में कुछ ऐसी प्रमुख विशेषताएं भी हैं...
1- मैन्यूफैक्चरिंग के बजाय उपभोग पर टैक्स | Tax on Consumption
GST वस्तु और सेवा का इस्तेमाल करने वाले को टैक्स देना पड़ता है, हालांकि इसकी वसूली की जिम्मेदारी सामान या सर्विस देने वाले की होती है। इसका मतलब ये है कि दुकानदार जब कोई सामान देगा तो उसमें जीएसटी अलग से लिखकर बताएगा। जो भी खरीददार उसे जीएसटी को मिलाकर पूरा पैसा देगा। सर्विस टैक्स के मामले में आपने ऐसा ही देखा होगा इसके अलावा मोबाइल बिल में साफ-साफ सर्विस टैक्स अलग से लिखा होता है। जब भी आप कोई मैन्यूफैक्चरिंग सामान लें तो उसके बिल को सावधानी से अच्छे से पढ़ लें।
2- टैक्स क्रेडिट सिस्टम | Tax Credit System
किसी भी सामान के निर्माण से लेकर कंज्यूमर तक पहुंचने में पूरी चेन होती है। अब जीएसटी के नियमों के मुताबिक, सप्लाई चेन में हर खरीद बिक्री पर तय टैक्स ही देना होगा। अब इसमें लोगों का ये सवाल होता है कि क्या हर स्तर पर टैक्स लगने से चीजें बहुत महंगी होंगी? तो हां जरूर महंगी हो जाती हैं अगर टैक्स क्रेडिट सिस्टम नहीं होता है। इस सिस्टम में सप्लाई चेन का हर अगला खरीदार अपने से पहले विक्रेता से दिए टैक्स वापस पाता है। जीएसटी में आखिरी स्टेज पर टैक्स लगने से पहले जहां टैक्स जमा किया गया है उसको वापस पाने की व्यवस्था है। अगर आप अंतिम या वास्तविक कंज्यूम नहीं है और पहले किसी स्टेज में आपने जीएसटी जमा किया है तो ये आपके खाते में वापस हो जाएगा। हर महीने जीएसटी रिटर्न भरने के दौरान आप टैक्स क्रेडिट सिस्टम से अपना जीएसटी एडजस्ट करा सकते हैं।
3- टैक्स पर टैक्स नहीं चढ़ेगा | No Cascading Of Taxes
पहले के सिस्टम में ना सिर्फ कई अलग Tax लगते थे, बल्कि टैक्स के ऊपर Tax भी लगते थे। क्योंकि बहुत सी वस्तुएं या सेवाएं दो या दो से अधिक तरह की श्रेणियों में आते थे। अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि अब जीएसटी अंतिम रूप से Consumer को ही अदा करना है तो बीच में अगर किसी ने Deposit भी किया है तो उसका पैसा टैक्स क्रेडिट सिस्टम से आसानी से Adjust हो जाता है।
4- कंपलीट ऑनलाइन सिस्टम
जीएसटी में Self Monitoring पर विशेष जोर दिया गया है और सारे सौदों की जानकारी Online अपडेट रखी जाती है। हर सौदे की रसीद लेने-देने वाले, दोनों के पास रहती है। दोनों अपनी-अपनी रसीदों से Tax Credit पा सकते हैं। कहीं भी सौदों का मिलान ना हुआ तो Online ही गडबडी पकड जाती है। सौदों में GST जमा होने की जिम्मेदारी हर स्टेज पर ऊपर वाले कारोबारी की होने से Tax की चेन नहीं टूटेगी।
5- टैक्स रेट पर मनमानी नहीं | No Arbitrary Rates
पहले राज्य सरकारें अपने यहां बिकने वाले किसी भी सामान पर अपनी मर्जी से Tax लगाती थी। इसका Rate भी वो अपना ही रखती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं होता है। GST के प्रावधानों में या रेट में किसी तरह के बदलाव के लिए GST Council बनाई गई है। इसके अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री ही होते हैं और राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य भी होंगे। केंद्र के पास किसी निर्णय पर वोट देने की एक तिहाई शक्ति है, दो तिहाई शक्ति राज्य सरकारों के पास भी होती है। हर राज्य की Voting Power बराबर है, चाहे वह बड़ा हो या छोटा। किसी भी फैसले को मंजूरी मिलने के लिए उसे Council के तीन चौथाई Votes की जरूरत होती है और इसी नियम के साथ किसी के साथ कोई गड़बड़ी नहीं होती है।
जीएसटी के लाभ | Benefits of GST
भारत की वर्तमान कर-संरचना यानी Tax-Srtucture बहुत जटिल है। राज्य सरकार और केंद्रीय सरकार दोनों के जरिए कर वसूले जाने के कारण भारत में अलग-अलग तरह के कर लगते हैं। अलग-अलग करों की मौजूदगी के कारण बिजनेसमैन्स को बहुत समस्याएं होती हैं। वस्तु और सेवा कर के आ जाने से इन समस्याओं का समाधान हुआ। वस्तु और सेवा कर के लागू होने से सरकार एंव साधारण जनता दोनों का फायदा हुआ। जीएसटी को लागू करने के पीछे ये सभी लाभ मिले हैं...
1. व्यापार करने में आसानी
2. टैक्स कर टैक्स व्यवस्था की समाप्ति
3. कर के बोझ में कमी
4. वस्तुओं एंव सेवाओं के रेट में कमी
5. टैक्स चोरी में कमी
6. सरकार के कर-आय में वृद्धि
7. आम उपभोक्ताओं को एक्स्ट्रा कर नहीं देने होते
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