हमरा बड़ा गांव निराला।
सुबह शाम धनकुट्टी की पकपक शोर मचाती।
शहर गांव को जोड़ने वाली गणेश टैंपो आती।
ले पानी नाला बड़ी नहर से बम्बी तक जाता।
उड़ती चारों ओर सांझ गोधूल चरवाहा आता।
दौड़ते भागते गांव के बच्चे बड़े स्कूल में आते।
सतियों जात बसे गांव में,मिलकर मौज मनाते।
पढ़े-लिखे लड़के बन मास्टर पुलिस नाम कमाते।
बाबा तालाब बनकटा धरवार में फसल उगाते।
बगियां कालका फुलवारी से फल घर ले आते।
कर विंदवासनी में गन्ने की पेराई ताजा गुड बनाते।
हिल मिल सभी गांव के होली लठ्ठ दिवारी मनाते।
छुटपुट भाईयां शिक्ख़ की पुलिया में बैठ जाते।
देख गांव की बहन बहुरिया उन सब से लज़ियती।
नहीं रहे वह तिवारी,स्कूली बच्चों को खूब ग़रियाते।
आती जाती बैलगाड़ियों में झूल लटक बच्चे जाते।
नहा नहर तालाब से घर में लतिया जुतिया हो जाती।
धन्य है गांव हमारा सभी तलाब मच्छरी मारने जाते।
सड़क एक चकस करन जो गुरैला मुस्तौर तक जाती।