पंजाब के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक और विभाजन के दर्द को एक नए मुकाम पर ले जाने वाली युवती जिन्हें हम "अमृता प्रीतम " के नाम से जानते हैं | इन्हें पंजाब की पहली कवियत्री कहा जाता है , पंजाबी भाषा में तरह -तरह के उपन्यास और कवितायेँ लिखने वाली अमृता प्रीतम ने हिंदी में भी बहुत सी रचनायें लिखी और वो चर्चित भी हुई , अमृता प्रीतम एक निडर और साहसी महिला थी ,जिन्होंने देश की हर युवती को आगे बढ़ने और बेबाकीपन से जीने की राह दिखाई । इस लेख में आप Amrita Pritam Biography In Hindi पढ़ेंगे -
कौन थीं अमृता प्रीतम? Who is Amrita Pritam?
1 . 31 अगस्त, 1919 को गुजरांवाला पंजाब (अब पाकिस्तान में) में जन्मीं पंजाबी भाषा की सर्वश्रेष्ठ कवियित्री अमृता प्रीतम की शिक्षा लाहौर में हुई थी। बचपन से ही प्रीतम जी पंजाबी भाषा में कविता, कहानी और निबंध लिखने में बेहद दिलचस्पी रखती थीं । उनमें एक कवियित्री की झलक उनके बचपन से ही देखने को मिल गयी थी।
2 .वहीं जब ये सिर्फ 11 साल की थीं तब इन्हें काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा, उनके सिर से मां का साया उठ गया और इसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी उनके सिर आ गई थी। इस तरह से बचपन से ही जिम्मेदारियां उठाते हुए उनका बचपन इसी में दब गया।
3 . प्रतिमा जी उन महान साहित्यकारों में एक थीं जिनका सिर्फ 16 साल की उम्र में पहला संकलन प्रकाशित हुआ। साल 1947 में अमृता प्रीतम जी ने भारत-पाकिस्तान के बंटवाररे को बहुत ही करीब से देखा और इसकी पीड़ा भी महसूस की थी।
4 . 18वीं सदी में लिखी अपनी कविता 'आज आखां वारिस शाह नु' में भारत-पाक विभाजन के समय उन्होने अपने गुस्से को कविता के माध्यम से बताया था। इसके साथ ही इसके दर्द को बहुत ही भावनात्मक तरीके से उन्होंने अपनी रचना को पिरोया था। प्रीतम जी की बहुत सारी कविताएं मशहूर हुईं और इसने उन्हें साहित्य में एक अलग पहचान बनाई। आजादी मिलने के बाद भारत-पाक बंटवारे के बाद अमृता प्रीतम जी का परिवार दिल्ली आकर बस गया था, हालांकि भारत आने के बाद उनकी लोकप्रियता में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। भारत-पाक दोनों ही देशों के लोग उनकी कविताओं को पसंद करते थे।
भारत में रहने के दौरान अमृता जी ने पंजाबी भाषा के साथ हिंदी भाषा में भी लिखना शुरु कर दिया था। पंजाबी साहित्य को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान पाने वाली मशहूर लेखिका की शादी 16 साल की उम्र में प्रीतम सिंह के साथ हुआ था, हालांकि शादी के कुछ समय बाद इनका साल 1960 में तलाक भी हो गया था। अमृता प्रीतम जी की आत्मकथा रशीटी टिकट के अनुसार, प्रीतम सिंह से तलाक के बाद कवि साहिर लुधिंवी के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ीं। मगर फिर भी साहिर की जिंदगी में गायिका सुधा मल्होत्रा आईं और अमृता प्रीतम की मुलाकात आर्टिस्ट और लेखक इमरोज से हुई इसके बाद उनका बाकी का जीवन उन्हीं के साथ बीता।
अमृता प्रीतम से जुड़ी कुछ खास बातें -
1 .लेखिका ममता कालिया का मानना है ,कि अमृता बेबाकी और साहसी थीं ,जिस वजह से उन्हें बाकि महिलाओं से अलग पहचान मिली |
2 .जिस ज़माने में महिलायें कुछ कहने से कतराती थी ,उस समय में अमृता ने अपने लेखन से समाज में बदलाव लाने की कोशिश की और लेखन जगत में अपनी अलग पहचान बनायीं ,जिस वजह से उन्हें आज भी याद किया जाता है |
3 .दूसरी लेखिकाओं का कहना है , कि अमृता की रचनायें बनावटी नहीं होती थी और यही उनकी लेखनी की खासियत थी | वे आम भाषा में लिखती थी ,जिसे लोग बेहद सरल तरीके से पढ़ और समझ पाते थे |
4 .लेखिका ममता के मुताबिक अमृता की हर रचना विभाजन को दर्शाती है ,चाहे वो उपन्यास पिंजर हो या कविता अज्ज आंखां वारिस शाह -
" अज्ज आंखां वारिस शाह "की कुछ लाइन यहाँ पढ़ें-
अज्ज आखाँ वारिस शाह नूँ कित्थों क़बरां विच्चों बोल
ते अज्ज किताब-ए-इश्क़ दा कोई अगला वरका फोल
इक रोई सी धी पंजाब दी तू लिख-लिख मारे वैन
अज्ज लक्खां धीयाँ रोंदियाँ तैनू वारिस शाह नु कैन
उठ दर्दमंदां देआ दर्देया उठ तक्क अपना पंजाब
अज्ज बेले लाशां बिछियाँ ते लहू दी भरी चनाब |
अमृता प्रीतम की प्रमुख रचनाएं | Amrita Pritam Poem
अमृता इमरोज़: अ लव स्टोरी नाम की एक किताब आई थी। इसे खुद अमृता प्रीतम जी ने लिखा था और इसके बारे में उन्होंने बताया था कि उन्होंने ही लिव-इन-रिलेशनशिप की शुरुआत की थी। पंजाबी भाषा की सर्वश्रेष्ठ एंव लोकप्रिय कवियित्री अमृता प्रीतम जी की गिनती उन साहित्यकारों में होती है। इनकी रचनाओं का विश्व की कई अलग-अलग भाषाओं का अनुवाद किया गया। अमृता जी अपनी रचनाओं में सामाजिक जीवन दर्शक का बेबाक और बहुत रोमांचपूर्ण वर्णन किया है। अमृता जी साहित्य की लगभग सभी विधाओं पर अपनी खूबसूरती लेखनी चलाई, अमृता जी की रचनाओं में उनके लेखन की गंभीरता साफ नजर आती है। विलक्षण प्रतिभा की धनी इस कवियित्री ने अपनी रचनाओं में तलाकशुदा महिलाओं की पीड़ा एंव शादीशुदा जीवन के कड़वे अनुभवों को भी बहुत ही अच्छे से लिखा।
अमृता प्रीतम जी द्वारा रचित उपन्यास 'पिंजर' को साल 1950 में एक अवॉर्ड भी मिला था और इसी साल बनी एक फिल्म को भी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। आपको बता दें कि अमृता प्रीतम जी ने अपने जीवनकाल में 100 किताबें लिखीं और इनका कई भाषाओं में अनुवाद किया गया। अमृता प्रीतम जी द्वारा रचित कुछ ये भी रचनाएं हैं...
1. उपन्यास – पिंजर, कोरे कागज़, आशू, पांच बरस लंबी सड़क उन्चास दिन, अदालत, हदत्त दा जिंदगीनामा, सागर, नागमणि, और सीपियाँ, दिल्ली की गलियां, तेरहवां सूरज, रंग का पत्ता, धरती सागर ते सीपीयां, जेबकतरे, पक्की हवेली, कच्ची सड़क।
2. आत्मकथा – रसीदी टिकट।
3. कहानी संग्रह- कहानियों के आंगन में, कहानियां जो कहानियां नहीं हैं।
4. संस्मरण- एक थी सारा, कच्चा आँगन।
5. कविता संग्रह- चुनी हुई कविताएं।
अमृता प्रीतम को मिले सम्मान और पुरस्कार | Amrita Pritam Awards
भारत की बेमिसाल प्रतिभा वाली महान कवियित्री अमृता प्रीतम जी को उनकी अद्भुत रचनाओं के लिए कई सारे अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। बता दें कि साल 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित यह पहली पंजाबी महिला रहीं थीं। इसके साथ ही भारत के महत्वपूर्ण पुरस्कार पद्म-श्री पाने वाली भी ये पहली पंजाबी महिला थीं। इसके अलावा इन्हें पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्धारा पुरस्कार समेत ज्ञानपीठ पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। अमृता प्रीतम जी को दिए गए पुरस्कारों की लिस्ट कुछ इस तरह है...
1. साहित्य अकादमी पुरस्कार (1956)
2. पद्मश्री (1969)
3. पद्म विभूषण (2004)
4. भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982)
5. बल्गारिया वैरोव पुरस्कार (बुल्गारिया – 1988)
6. डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (दिल्ली युनिवर्सिटी- 1973)
7. डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (जबलपुर युनिवर्सिटी- 1973)
8. फ्रांस सरकार द्वारा सम्मान (1987)
9. डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (विश्व भारती शांतिनिकेतन- 1987)
अमृता प्रीतम की मृत्यु | Amrita Pritam Death
अमृता प्रीतम जी 86 साल की उम्र तक अपने जीवन में बहुत कुछ करने का हुनर रखती थीं। मगर बीमारियों ने उनका साथ छोड़ दिया और काफी लंबे समय से बीमारी के चलते 31 अक्टूबर, 2005 में उनका देहांत हो गया। इस तरह से महान कवियित्री अमृता प्रीतम जी की कलम हमेशा के लिए रुक गई और देश ने एक रत्न खो दिया। अमृता जी आज भले इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी लिखित उपन्यास, कविताएं, संस्मरण, निबंध आज भी लोगों के लिए जिंदा है। इस महान लेखिका के सम्मान में 31 अगस्त, 2019 को 100वीं जयंती पर गूगल ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए डूडल बनाया था।
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