नारी हारी नहीं।
हर नारी का सम्मान करना सीखे। इंसानियत के मरहम को जाने। नारी को जननी कहा जाता हैं। उस जननी का भी तो ख्याल रखे। जिसने जन्म देकर मात्रभूमि का अंग बनाया, उसी मात्रभूमि मे जननी के साथ एक घिनौना काम करने मे तुल जाते हैं।
शर्म करो इनशानियत के नाम को क्यो कलंकित करते हो अपनी मात्रभूमि में।
मणिपुर के लिए ही नही अपितु पूरी जननी शृष्ठि के लिए हैं।
जय हो मात्र-भूमि की, द्रणनिश्चय करे की कभी ऐसा ख्याल अपने दिलो मे नही लाएगें,जिससे हमरी मात्रभूमि और नारी कराह पड़े। उसकी हर एक कराह में एक नई कहानी जन्म लेती है।