स्वयंवर के बारे में आपने सुना होगा. भारत में कई पौराणिक कहानियों में इसका
ज़िक्र होता है, जहां राजकुमारियां अपने लिए योग्य दूल्हा चुनती थीं. केरल के कन्नूर ज़िले में
'परस्सिनिकदावु स्नेक पार्क' में दोनों नर किंग कोबरा, मादा कोबरा से संबंध बनाने के लिए लड़ रहे हैं. संस्थान के निदेशक ई कुन्हिरमण
कहते हैं कि यह विलुप्त होती जा रही किंग कोबरा प्रजाति को बचाने के लिए उठाए जा
रहे कदमों में से एक है. यह केरल राज्य में इस तरह की पहली कोशिश है. कुन्हिरमण के
मुताबिक़ इस चिड़ियाघर में सांपों और किंग कोबरा के प्राकृतिक आवास को विकसित करने
के लिए काफ़ी जगह है. वे कहते हैं, "इस परियोजना का मूल उद्देश्य किंग कोबरा की प्रजनन की
आदतों को जानना है, साथ ही उन्हें जंगल में ले जाकर छोड़ देना है. "
मादा से संबंध बनाने के लिए दोनों नर किंग कोबरा के बीच दिन में रुक-रुक कर
लड़ाई चलती रहती है लेकिन 25 साल के बूढ़े किंग कोबरा के हार मान लेने के आसार दिख रहे हैं जबकि दूसरे
किंग कोबरा और मादा कोबरा की उम्र 20 साल है. रहने की अपनी कुदरती जगह से उजड़ जाने के अलावा भी आज किंग कोबरा कई
तरह के ख़तरे झेल रहा है. किंग कोबरा दूसरे ज़हरीले सांपों की संख्या को नियंत्रित
करने में बड़ी भूमिका निभाता है क्योंकि किंग कोबरा का भोजन दूसरे सांप होते हैं. साँपों
पर रिसर्च करने वाले पी गौरीशंकर बताते हैं, ''किंग कोबरा ने किसी को
डस लिया हो, ऐसी घटना बहुत ही कम सुनने को मिल रही थी. इसके साथ ही इस तरह के प्रजनन
केन्द्र से लोगों को सांपों के बारे में जानकारी देने में मदद मिलेगी और इससे
सांपों के सकारात्मक संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा''. एक मादा किंग कोबरा एक
बार में 25 से 30 अंडे देती है, जिससे बच्चे निकलने में 100 दिनों का समय लगता है. उम्मीद जताई जा रही है कि सब ठीक
रहा तो अगस्त के महीने में संपोले बाहर निकलेंगे.
हालांकि पशुओं के कल्याण से जुड़े एक जाने माने संगठन ने इस परियोजना का कड़ा
विरोध किया है, जबकि स्नेक पार्क के अधिकारियों का दावा है कि यह एक प्राकृतिक तरीका है. पीपुल
फ़ॉर एनिमल से जुड़े कार्यकर्ता अशोक केपी कहते हैं, "हम लोग इसका विरोध
इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इसमें क्रूरता का अंश हैं और अगर यह प्राकृतिक तरीका है तो इसे
प्राकृतिक तरीके से ही होने दें और कोई कृत्रिम तरीका न अपनाएं. यह सब केवल मीडिया
को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है, हम इसके ख़िलाफ़ आवाज़
उठाने जा रहे हैं और इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को देंगे."
(साभार : प्रगित परमेश्वरन, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए)