वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि खतरनाक जीका वायरस
के कनाडा और चिली से निकल कर अमेरिकी महाद्वीप के हर देश में फैलने की आशंका है जो
आगे जाकर पूरी दुनिया के लिए खतरा बन सकता है। उल्लेखनीय है कि जीका वायरस मच्छरों
से पैदा होने वाला एक वायरस है, जो लगभग डेंगू और चिकनगुनिया के जैसा ही है। लेकिन इससे संक्रमित गर्भवती महिला द्वारा उत्पन्न संतान के सिर छोटा रह जाने की जन्मजात
बीमारी भी हो जा रही है| हालाँकि इसकी सबसे बड़ी खतरनाक बात यह है कि इससे प्रभावित
होने वाले करीब 80% लोगों में इसके कोई खास लक्षण नजर ही नहीं आते। खासकर, गर्भवती महिलाओं के
लिए यह जानना सबसे कठिन होता है कि वे इनसे संक्रमित हैं या नहीं। यह भी ज्ञातव्य
है कि ये आज-कल में पैदा हुआ वायरस नहीं
है, बल्कि इसका पहला मामला युगांडा में 1947 में आया था। पिछले साल तक यह वायरस अफ्रीका, एशिया और प्रशांत
द्वीपों में कुछ एक जगह पाया जाता रहा। अब तक 20 देशों में जीका वायरस
का पता चला है। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमैर के अनुसार, दुनियाभर में जीका से
इफेक्टेड की कुल संख्या के बारे में इसलिए अनुमान नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि जीका के लक्षण
इतने हल्के होते हैं कि इस वायरस पर नजर रखना मुश्किल है। अभी ऐसी कोई मेडिसिन या
इलाज नहीं है, जो जीका वायरस को खत्म कर सके। अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शंस डिसीज नई मेडिसिन पर
भी टेस्ट कर रहा है। चिंता की बात यह भी है कि मौजूदा
वक्त में ब्राजील इसकी सबसे अधिक गिरफ्त में है। वहां ऐसा तब हो रहा है, जब छह महीने बाद रियो
में ओलंपिक गेम्स होने वाले हैं। ब्राजील में दुनियाभर के दर्शक जाएंगे। ऐसे में
इस संक्रमित और जानलेवा बीमारी को फैलने से कैसे बचाया जाएगा?
बीमारी और लक्षण को लेकर एक्सपर्ट्स कन्फ्यूज
अमेरिकन एक्सपर्ट्स के
मुताबिक, यह पता लगाया जा रहा है कि क्या प्रेग्नेंट लेडी में जीका संक्रमण और उनके
नवजात बच्चों में माइक्रोसीफली (सिर छोटा रह जाने की जन्मजात बीमारी) के बीच में
कोई संबंध है या नहीं? अमेरिका की ही संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) इस बात
का मान लिया है। माइक्रोसीफली सिर छोटा रह जाने की ऐसी बीमारी है, जिसका कोई इलाज मौजूद
नहीं है। माइक्रोसीफली के हल्के प्रभाव वाले मामलों में सिर छोटा रह जाने के अलावा अन्य
लक्षण नहीं दिखते हैं। हालांकि, डॉक्टरों को नियमित रूप से उनके विकास पर निगरानी रखनी पड़ती है।