जी हाँ यह अन्तरिक्ष-विज्ञान की बड़ी सफलता है | ज्ञात
हो कि नासा के साइंटिस्ट ने पहली बार पृथ्वी के बाहर फूल खिलाने में सफलता पाई है।
सूत्रों के अनुसार इंटरनेशनल स्पेस सेंटर (आईएसएस) की वेजी लैब में पहली बार “एडिबल
जिनिया” नाम का पौधा उगाया गया है और इसमें जैसे ही फूल आए, एस्ट्रोनॉट स्कॉट केली
ने उसकी तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की। दीगर है कि इस सफलता को भविष्य के स्पेस मिशन
और मंगल पर बस्ती बसाने की दिशा में बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। हालाँकि एक समय
ऐसा भी आया था, जब “एडिबल जिनिया” का यह पौधा सूखने लगा था और इसके अंदर का पानी पत्तियों से
बाहर आना शुरू हो गया था। जिससे पत्तियां मुड़ने लगी थीं, जो पौधा नष्ट होने का
पहला संकेत था। लेकिन इसे बचाने के लिए साइंटिस्टों ने पंखों से हवा दी, जिससे सफलता मिली और
अंतरिक्ष में पहला फूल खिलाना संभव हो पाया | “एडिबल जिनिया” पौधा और इसका फूल
सलाद के रूप में खाया जाता है। हालांकि इस पौधे को उगाना काफी मुश्किल है क्योंकि
यह प्रकाश और वातावरण के मामले में अधिक सेंसटिव है। इसे उगाने में करीब 60 से 80 दिन का समय लगता है। अच्छी
बात यह कि 2018 में आईएसएस में टमाटर की फसल बोई जाने के प्रयास जारी हैं साथ ही इसके पहले
कई अन्य सब्जियों व फसल उगाने की तैयारी भी की जा रही है|
वेजी लैब
एस्ट्रोनॉट्स को ताज़ी सब्जी मिल सकें, इसके लिए आईएसएस में
मई 2014 को वेजी लैब तैयार की गई थी। यह एक तरह की डिब्बानुमा संरचना है, जिसका वज़न 7.2 KG है। लैब काम कर सके, इसके लिए इसे 115 वॉट एनर्जी की जरुरत
होती है। शून्य गुरुत्वाकर्षण में इसमें फसल अधिकतम 45 सेमी की ऊंचाई तक ही उग
सकती है। फिलहाल इसमें सिर्फ सलाद वाली सब्जी ही उगाई जा रही हैं।
वेजी लैब कैसे करती है काम
रूट मैट (मिट्टी, खाद और जड़ से भरी चटाई) में बीजों को सक्रिय करके और जरूरी पानी डालकर वेजी
लैब में रख दिया जाता है। रेड, ग्रीन और ब्लू लेड लाइट्स बीज और पौधे को
जरूरी रोशनी दी जाती है। कृत्रिम तापमान भी उपलब्ध कराया जाता है। जब पौधा पनपने
लगता है तो पंखों के ज़रिए उन्हें ताज़ी हवा उपलब्ध कराई जाती है। रोज़ाना उनकी
देखरेख होती है। पूर्ण विकसित होने पर खाने लायक हिस्सा काटकर रूट मैट में दोबारा
बीज डाले जाते हैं।