22 अप्रैल यानि आज हनुमान जयंती है। बीएचयू के प्रो. वीएन मिश्रा और अल्का काशी
में हनुमान जी के विग्रहों के रहस्य और रोचक तथ्यों पर काम कर रहे हैं। उनसे
बातचीत करने के बाद दैनिकभास्कर.कॉम के सौजन्य से आइये जानें भगवान हनुमान के इन
अनोखे स्वरूपों वाले मंदिरों के बारे में:
- संकट मोचन मंदिर
इस मंदिर की स्थापना गोस्वामी
तुलसीदास ने की थी। मान्यता है कि यहां तुलसीदास को बजरंगबली का दर्शन हुआ था।
इसके बाद से बजरंगबली यहां मिट्टी का स्वरूप धारण कर स्थापित हो गए। मंदिर का
नामकरण तुलसीदास ने ही किया था। मंदिर 8.5
एकड़ में फैला हुआ है। इसके दो एकड़ हिस्से में मंदिर और बाकी को वन क्षेत्र
के लिए छोड़ा गया है। यहां हनुमानजी को पितांबर यानी धोती और दुपट्टा भी पहनाया
जाता है। वहीं, चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर उनका श्रृंगार किया जाता है।
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मूंछ वाले हनुमान जी
18वीं शताब्दी के करीब मंदिर के स्थान पर राम लीला हुआ करती थी। वहां रामकटोरा
के झग्गू ब्राह्मण हनुमान जी बना करते थे। वह बड़ी-बड़ी मूछ रखते थे। कहा जाता है
कि तात्कालीन डीएम हेनरी ने लीला के दौरान हनुमान बने ब्राह्मण को कहा था कि अपनी
शक्ति दिखाओ नहीं तो लीला बंद करा दूंगा। ब्राह्मण ने जय श्रीराम का नारा लगाते हुए
वरुणा नदी को पार करने के लिए छलांग लगा दिया। नदी पार करते ही वह जैसे ही पीछे
मुड़ कर देखें, उनकी मौत हो गई और पत्थर की तरह स्थापित हो गए। बाद में अंग्रेजों की मदद से
वहां मूछ वाले हनुमान मंदिर को स्थापित किया गया।
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तुलसी घाट पर हनुमान
जी की 4 मूर्ति
मान्यता है कि तुलसीदास जब काशी
में रामचरित मानस लिख रहे थे तो कुछ लोग उन्हें घाट पर परेशान करते थे। इस पर
उन्होंने चारों दिशाओं में रक्षा के लिए चार हनुमान जी को स्थापित किया था।
उन्होंने मानस के चार कांड (किष्किंधा कांड, सुंदर कांड, लंका कांड, उत्तर कांड) को इसी
घाट पर लिखा। वहां स्थापित चार हनुमान जी के नाम निम्नवत हैं-1. पश्चिममुखीबजरंगबली। 2. पूर्वामुखी बजरंगबली। 3. दक्षिणामुखी बजरंगबली।
4. उत्तरमुखी बजरंगबली ।
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रास्ते से निकले
हनुमान जी
मान्यता है कि 200 साल पहले पंचकोश
यात्रा के दौरान अर्दली बाजार मार्ग पर दर्शनार्थियों को अचानक हनुमान जी की
मूर्ति दिखी। इसके बाद कई दिनों तक वहां पूजा पाठ शुरू हो गया था। बाद में सरसौली
के राजा अर्जुन सिंह ने विग्रह को महावीर जी के नाम से स्थापित कर मंदिर बनवाया।
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दीवार वाले हनुमान जी
400 साल पहले साधना करने तिलमापुर पहुंचे चतुरानंद महाराज ने विघ्न डालने वाले
लोगों को आस्था से जोड़ने के लिए दीवार में हनुमान जी को स्थापित किया था। कहा जाता
है उस समय लोग महाराज को पूजा करने से रोक रहे थे और बोले थे कि प्रभु हैं तो
दर्शन कराएं। इसके बाद लोगों को हनुमान जी के साक्षात दर्शन हुए थे।
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पंच मुखी हनुमान जी
लेढ़ूपुर में 300 साल पहले नागा साधुओं
का एक जट्ठा आया था। नागाओं ने यहां महीनों तप किया। स्थान छोड़कर जाते समय
उन्होंने गांव की रक्षा के लिए अपने हाथों से विग्रह बनाकर बजरंगबली को स्थापित
किया था।
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कर्ण घंटा वाले हनुमान
जी
मान्यता है कि इसी स्थान पर तुलसीदास
जी बैठकर सत्संग किया करते थे। राम भक्त हनुमान जी एक बार यहां कोढ़ी का रूप धारण
करके राम कथा सुनने पहुंचे और सबसे पीछे बैठ गए। तुलसीदास उन्हें पहचान लिए।
हनुमान जी उन्हें देखकर तेजी से भागे और वर्तमान संकट मोचन मंदिर के पास दर्शन
दिए।
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खूंटी वाले हनुमान
सिगरा में नीम के पेड़ पर कुछ साल
पहले हनुमान जी को खूंटी पर टांग कर कोई भक्त चला गया। इसके बाद से लोग उन्हें
खूंटी वाले हनुमान कहते हैं।
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लकड़ी वाले हनुमान
यह मूर्ति बीएचयू के प्रो. वीएन
मिश्रा को एक प्रदर्शनी में दिखी थी। उनके अनुसार, काष्ठ कला से बने हनुमान
जी बिल्कुल पत्थर के दिखते हैं। इस बहुरंगीय हनुमान जी को एक अंधे व्यक्ति ने कलर
किया था। उनका कहना है कि हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण की ऐसी प्रतिमा कहीं नहीं
मिलती है।
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जमीन में धंसे हनुमान
रामनगर का ये विग्रह कितना पुराना
और कैसे आया इस बारे में कोई नहीं जानता। मूर्ति जमीन से निकली है या धंसी है, यह एक रहस्य है। यहां
हनुमान जी का थोड़ा गदा और सिर दिखाई देता है। राम नगर कि रामलीला विश्व प्रसिद्ध
है। बताया जाता है कि हनुमान जी स्वयं यहां लीला देखने आते हैं। लोगों के मुताबिक, लीला देखने के बाद
हनुमान जी यही आराम करते रहे होंगे, इसीलिए विग्रह उसी मुद्रा में है।