प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आज जम्मू संभाग में स्थित वैष्णों देवी यूनिवर्सिटी के कन्वोकेशन में शामिल हुए। यहां लड़कियों ने लड़कों से ज्यादा मेडल हासिल किए। मोदी ने तारीफ में कहा, ''माता वैष्णो देवी भी खुश हो रही होंगी। हो सकता है कुछ दिनों के बाद आंदोलन चले पुरुषों के आरक्षण का। वो भी कोई मांग लेकर निकल पड़ें कि इतने गोल्ड मेडल तो हमारे लिए रिजर्व होना चाहिए।" पीएम ने ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुकीं पहली इंडियन जिमनास्ट दीपा करमाकर का भी जिक्र किया। कन्वोकेशन में मोदी ने कहा, ''टैक्स से कई यूनिवर्सिटीज चलती हैं। लेकिन ये यूनिवर्सिटी अपवाद है| हिंदुस्तान के हर कोने के गरीब लोगों ने मां वैष्णो के चरणों में कुछ दिया होगा। इसी के चलते ये पुण्य काम हुआ। यहां गरीब के सपनों का वास है। गरीब के पैसे से चलनी वाली ये यूनिवर्सिटी एक अजूबा कही जा सकती है। हमें सोचना चाहिए कि किसी गरीब ने खाने के पैसे छोड़कर यहां चढ़ावा चढ़ाया। ऐसे कई लोगों से यूनिवर्सिटी चल रही है| आपको सिर्फ लेक्चरर, प्रोफेसर्स ने नहीं, बल्कि कैम्पस में कई लोगों ने अच्छी सीख दी होगी। तैत्तरीय उपनिषद् में दीक्षांत समारोह का जिक्र है। ये परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है। दीक्षांत समारोह का मतलब है, जो शिक्षा मिली है, उससे समाज को बेहतर बनाने की दीक्षा लेना। हम लोगों ने उपनिषद् से उपग्रह और गुरुकुल से विश्वकुल की यात्रा की है। हम लोगों को रास्ता निकालना आता है। इस देश के वैज्ञानिकों की ताकत देखिए, कम खर्च में मार्स मिशन को अंजाम दे दिया। मां वैष्णो भी सोचती होंगी कि बेटियों ने बवाल कर दिया। कहीं ऐसा न हो कि आगे जाकर लड़कों को रिजर्वेशन की जरूरत पड़े। अवसर से नहीं, हौसले से रास्ते बनते हैं। कई बार बनने के सपने निराशा का कारण भी होते हैं। लेकिन कुछ करने का सपना जीवन को आगे ले जाता है। आपके पेरेंट्स ने आपकी खुशियों के लिए सेक्रिफाइस किया। असफलता से सीखना चाहिए। कुंठा, नाकामयाबी बोझ नहीं बननी चाहिए” (साभार : भास्कर.कॉम)