जैसा कि आप तस्वीर में देख रहे हैं, ठीक यही नजारा होगा रांची स्थित पहाड़ी मंदिर पर जब आगामी 23 जनवरी को रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर के बटन दबाते ही यहां बनेगा इतिहास, क्योंकि तब इस पहाड़ को जानेगा पूरा देश| ऐसा इसलिए क्योंकि रांची स्थित पहाड़ी मंदिर पर 23 जनवरी को यहां रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर बटन दबाकर देश के सबसे ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज को फहराएंगे| इस विशेष अवसर पर हजारों लोगों की भीड़ होने की संभावना है। निश्चय ही यह स्थल सबसे ऊंचे तिरंगे के लहराने के बाद पूरे देश में चर्चित हो जाएगा। 66x99 फीट के इस राष्ट्रीय-ध्वज की जमीन से ऊंचाई 493 फीट होगी जबकि इसका वजन 60 किलोग्राम होगा औरर इसमें 20 सोडियम वेपर लाइट लगे होंगे| ज्ञातव्य है कि अभी तक हरियाणा के फरीदाबाद में देश का सबसे ऊंचा तिरंगा 75 मीटर की ऊंचाई पर विराजमान है। खास बात यह कि रांची में झंडोत्तोलन के समय हेलिकॉप्टर या फिर ग्लाइडर से फूलों की बारिश की जाएगी। और यहां 24 घंटे तिरंगा लहराएगा। साथ ही रात में भी तिरंगा दिखे, इसके लिए पोल के पास 20 सोडियम वेपर लाइट लगाए जा रहे हैं। इसीलिये पोल खड़ा करने हेतु 84 मीटर ऊंचा डैरेक (मचान) बनाया गया था। इस झंडे के लिए पहाड़ी मंदिर समिति के सदस्य पिछले छह महीने से जी-जान से लगे हुए हैं। वहीं 40 कारीगर दिन-रात काम में जुटे हैं। इस आयोजन का मुख्य समारोह रांची के मोरहाबादी स्थित फुटबॉल स्टेडियम में होगा। कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए 20 हजार से अधिक लोगों का जमावड़ा स्टेडियम में होगा जिसमें रांची के विभिन्न स्कूलों के 10 हजार बच्चों के शामिल होने की संभावना है
एक नजर में पहाड़ी मंदिर
भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर धार्मिक आस्था के साथ देशभक्तों के बलिदान के
लिए भी मशहूर है। यह मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय
ध्वज तिरंगा शान से फहराया जाता है। यह परम्परा यहाँ 1947 से ही चली आ रही है। गौरतलब
है कि पहाड़ी बाबा मंदिर का पुराना नाम ‘टिरीबुरू’ था, जो आगे चलकर ब्रिटिश
हुकूमत के समय फांसी टुंगरी में परिवर्तित हो गया। अंग्रेजी हुकूमत के समय देश
भक्तों और क्रांतिकारियों को यहां फांसी पर लटकाया जाता था। आजादी के बाद रांची
में पहला तिरंगा धवज यही पर फहराया गया था। चूंकि यहां पर शहीद हुए देश भक्तों की
याद व सम्मान में तिरंगा फहराया गया था इसी कारण यहाँ तभी से यह परंपरा आज तक जारी
है|