इस उक्ति को चरितार्थ कर दिया है उत्तर प्रदेश के कौशांबी ज़िले के 35 वर्ष के दोनों पैरों से विकलांग समाज सेवी युवक मोहन लाल पासी ने | गौरतलब है कि महज प्राइमरी तक की पढ़ाई करने वाले मोहन लाल पासी जन्म से ही दोनों पैरों पर सीधे खड़े नहीं हो सकते थे। गरीबी होने के कारण उनके पिता जयराम उन्हें पढ़ा नहीं सके। इसके बावजूद वह हमेशा से समाज की सेवा करना चाहते थे। यह इरादा इतना मजबूत था कि उन्होंने अपनी मंजिल हासिल करने के लिए अपनी लाचारी को कभी अपने आगे नहीं आने दिया। मोहन लाल ने साल 2015 के जिला पंचायत चुनाव में कड़ी मेहनत करके कौशांबी के वार्ड नंबर 19 से जिला पंचायत के सदस्य पद पर अपनी दावेदारी पक्की कर ली है। खास बात यह कि उन्होंने अपने वार्ड नंबर 19 के अन्य 11 उम्मीदवारों को हराकर यह जीत अपने नाम की और सबसे ज्यादा वोट हासिल किए। विकलांग होने की दिक्कतों पर मोहन लाल कहते हैं कि जनता से मिलकर उनकी अच्छी बातों के प्रयोग ने उनकी जनता में अच्छी पैठ बनाई। इसी वजह से उन्हें जीत हासिल हुई है। मोहन लाल ने आगे बताया कि वह जब भी अपने क्षेत्र की जनता के पास पहुंचते थे, लोग उनके पास खुद आते थे। बाद में उनकी बातों को सुनकर उन्हें ही अपने नेता का हक देने की बात कहते थे। बाद में यह सही भी साबित हुआ। उन्होंने कहा कि अब वह जीत के बाद अपनी जनता का विकास करना चाहते हैं। मोहन लाल ने जो जीत हासिल की है, वह इतनी आसान नहीं थी। जिला पंचायत के वार्ड नंबर 19 में मंझनपुर और कौशांबी विकास खंड आते हैं। सरकारी आंकड़ों में इन दोनों विकास खंडों में 40 किलोमीटर के परिक्षेत्र में 18 ग्रामसभायें हैं जिसकी जनसंख्या करीब 46 हजार है। वार्ड नंबर 19 में कुल वोटर्स 36 हजार 479 हैं। इतने लोगों से मिलना और संपर्क कर अपनी बात कहना किसी भी साधारण उम्मीदवार के लिए ही बेहद कठिन काम है, लेकिन विकलांग होने के बावजूद मोहन लाल ने अपनी कमजोरी को किनारे कर अपने क्षेत्र की जनता से संपर्क हासिल करना शुरू किया। इसका परिणाम उन्हें जीत के रूप में मिला। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी उम्मीदवार प्रदीप कुमार से 1587 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। मोहन लाल को 5235 वोट हासिल हुए। निःसंदेह “पक्का इरादा हो, जज्बा हो तो मंजिल खुद आपके कदम चूमती है” के मंत्र को साकार करने वाले मोहन लाल पासी ने अपनी मेहनत और लगन के बूते विकलांग लोगों के लिए एक मिसाल प्रस्तुत किया है ।
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