- मस्तानी के दहेज में
दिए गए थे करीब 50 हजार करोड़ ।
- नर्तकी नहीं महाराजा
छत्रसाल की वीरांगना बेटी थीं मस्तानी ।
गुणी फ़िल्मकार, निर्देशक एवं संगीतकार संजय लीला भंसाली की महत्वाकांक्षी फिल्म “बाजीराव मस्तानी” आगामी 18 दिसंबर को रिलीज़ होगी, जिसमें बाजीराव बने हैं अभिनेता रणवीर सिंह और उनकी पहली पत्नी काशीबाई की भूमिका में हैं अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जबकि उनकी प्रेमिका के लोकप्रिय किरदार मस्तानी को पर्दे पर साकार करेंगी मशहूर अदाकारा दीपिका पादुकोन | बड़े सितारों से सजी बड़े बजट की ये फिल्म अपने भव्य सेट के कारण भी हाल-फिलहाल लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है | हालाँकि यह फिल्म भारतीय इतिहास के दो लोकप्रिय किरदारों बाजीराव पेशवा और उनकी प्रेमिका मस्तानी के जीवन पर आधारित है लेकिन वर्तमान में इंदौर शहर में रहने वाले बाजीराव पेशवा और मस्तानी के वंशजों ने इन ऐतिहासिक किरदारों के बारे कई ऐसी बातें बताई जो प्रचलित मान्यताओं से एकदम अलग है | उल्लेखनीय है कि बाजीराव पेशवा और मस्तानी के वंशज जुबेर बहादुर जोश, जुनेद अली बहादुर और तमकीन अली बहादुर वर्तमान में इंदौर शहर में रहते हैं। ऐतिहासिक पात्र मस्तानी के बारे में वे बताते हैं कि मस्तानी बुंदेलखंड के महाराजा छत्रसाल की बेटी थीं | उनका वास्तविक नाम कंचनी था | महाराजा छत्रसाल अपनी बेटी कंचनी को बेहद चाहते थे, जो बाद में मस्तानी के नाम से मशहूर हुईं | मस्तानी के विवाह में महाराजा छत्रसाल ने इतना दहेज दिया था कि उस समय के राजा-महाराजाओं की आंखें चौंधियां गईं थीं । विदाई के समय मस्तानी को दहेज के रूप में उन्होंने पन्ना में हीरे की दो खदानें, सोने की 32 लाख मोहरें और सोने और चांदी के असंख्य बर्तन और गहने दिए थे। जानकारों के मुताबिक इसका मूल्य 50 हजार करोड़ के आसपास रहा होगा | इन लोगों के अनुसार ज्यादातर जनप्रचलित किस्से-कहानियों में मस्तानी के चरित्र को बहुत हलके ढंग से उकेरा गया है। उन्हें सिर्फ नर्तकी बताया गया है जबकि वो पेशे से नर्तकी नहीं बल्कि नृत्य में कुशल थीं | इसके अलावा तलवारबाजी, तीरंदाजी और घुड़सवारी में भी मस्तानी उतनी ही निपुण थीं । इतिहासकारों के मुताबिक मस्तानी को भले ही तत्कालीन पंडितों ने स्वीकार नहीं किया, लेकिन वो हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति के बेजोड़-मेल का प्रतीक थीं । मस्तानी कृष्ण की भक्त थीं और नमाज भी पढ़ती थीं । मस्तानी पूजा भी करती थीं और साथ में रोजा भी रखती थीं । बाजीराव पेशवा और मस्तानी के वंशजों के मुसलमान होने के पीछे कारण यह है कि महाराजा छत्रसाल की बेटी मस्तानी की मां का नाम रूहानी था जो ईरानी मूल की थीं । इसीलिए मस्तानी का लालन-पालन हिन्दू और मुस्लिम परंपराओं के बीच हुआ था। बाजीराव पेशवा ने मस्तानी से जन्मे पुत्र का नाम कृष्णाजीराव रखा था, लेकिन उस समय पुणे के ब्राह्मणों ने मुस्लिम मां का पुत्र होने के कारण उनका जनेऊ संस्कार नहीं होने दिया था। तब मजबूरी में बाजीराव ने उन्हें इस्लाम अपनाने को कहा था । कृष्णाजीराव बाद में शमशेर बहादुर के नाम से पहचाने गए। पेशवा ने उन्हें बांदा की रियासत सौंपी थी। इंदौर का वर्तमान का बहादुर परिवार उनकी आठवी पीढ़ी का माना जाता है | गौरतलब है कि तमकीन अली बहादुर और जुनैद अली बहादुर ने संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव मस्तानी में मस्तानी के सही चित्रण के लिए कोर्ट में याचिका भी दायर किया था, जिस पर हाईकोर्ट ने उन्हें सेंसर बोर्ड में जाने के निर्देश दिए थे। तमकीन बताते हैं कि सेंसर बोर्ड ने अभी तक उनकी याचिका का कोई जवाब नहीं दिया है। उनके अनुसार वे लोग अभी अपने अधिवक्ता से सलाह ले रहें हैं जिनकी सलाह के आधार पर वो आगे की कार्यवाही के बारे में सोचेंगे ।
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