नवरात्र का गुजरातियों को पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है, हो भी क्यों नहीं आखिर
इन दिनों में ही तो पूरे गुजरात में गरबा की धूम मची होती है | गरबा गुजरात का
पारंपरिक नृत्य है, जो देवी दुर्गा को समर्पित नृत्य है | दुनिया का यह सबसे लम्बा
नृत्य महोत्सव अब समापन की ओर है | जाहिर है कि ऐसे में कोई भी गुजराती भला गरबे
से दूर कैसे रह सकता है ? इसी कारण गुजरात के सभी शहरों-कस्बों में इस समय गरबा
मैदानों-पंडालों में उमड़ी भीड़ का प्रमुख आकर्षण-केंद्र बना हुआ है| गुजरात के सारे
गरबा मैदान लोगों से लगभग लबालब हो चुके हैं। ज्ञात हो कि शाम 7.30 बजे देवी दुर्गा माता की आरती के साथ शुरू होने वाला
गरबा उत्सव देर रात तक लोगों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। गरबा के
सफल आयोजन में समितियों की पूरी टीम दिन रात मेहनत कर रही है। गुजरात के लिए यह
बात और भी विशेष हो जाती है, क्योंकि इन दिनों गुजरात 'पाटीदार पटेल आरक्षण' की आग से भी घिरा हुआ है। हाल ही के दिनों में राज्य जिस हिंसा के दौर से
गुजरा, उसे देखते हुए लग रहा था कि इस बार शायद गरबे की चमक भी फीकी रहेगी। लेकिन, इस आन्दोलन का मां
अंबे की उपासना करते हुए गुजरातियों पर कोई असर नहीं है | गुजराती गरबे की मस्ती
में डूबे हुए हैं | इन दिनों नगाड़ा संग ढोल
बाजे....मांडीतारा मंडरिया मा ढ़ोल बाजे...नदी किनारे नारियल पेड़ भाई नारियल है
रे...ढोली तारो ढ़ोल बाजे...नीम्बुड़ा नीम्बुड़ा कच्चा..... जैसे गानों पर देर रात तक
समूचा गुजरात थिरक रहा है। राज्य के हरेक शहर में गरबा उत्सव समिति की ओर से
आयोजित रास गरबा उत्सव का खुमार हर उम्र के लोगों पर जमकर चढ़ा है। शाम होते ही बड़ी
संख्या में युवतियां, महिलाएं और बच्चे रंग बिरंगे परिधान में गरबा मैदान में पहुंच रहे हैं। कहा
जाये तो पूरे गुजरात में गरबे की धूम मची हुई है |