सूखे की मार और खराब आर्थिक स्थिति ने किसानों को नए-नए जुगाड़ करना सिखा
दिया है। खेत जुताई के लिए हल नहीं था तो बुंदेलखंड क्षेत्र के बांदा के एक किसान
ने साइकिल को ही हल बना लिया और जुताई शुरू कर दी। किसान का कहना है कि बिना लागत
के यह उसके लिए काफी किफायती साबित हो रहा है। बुंदेलखंड में किसानों की जिंदगी का
मूलमंत्र ही जुगाड़ बन गया है। इस क्षेत्र के बांदा के गांव छनेहरा में रहने वाले एक
किसान रामप्रसाद ने एक ऐसा जुगाड़ किया, जो उन तथा इस क्षेत्र के किसानों के लिए बेहद मददगार साबित हो रहा है। किसान रामप्रसाद
ने 10 साल पुरानी अपनी कबाड़ की साइकिल को हल बनाने की सोची। रामप्रसाद के अनुसार, वह किराए पर खेती लेकर
थोड़ी खेती-किसानी करते हैं| लेकिन सूखे ने कुछ नहीं होने दिया। अब खेत जोतने को न
बैल हैं और न ही ट्रैक्टर के लिए रुपए। ऐसे में उन्होंने साइकिल को ही हल बना
दिया। आइये जानें उन्होंने कैसे बनाया साइकिल को हल? रामप्रसाद जी ने साइकिल के
पीछे के पहिए को निकाल दिया। साइकिल के पिछले हिस्से को मिट्टी में धंसने वाले
लोहे को नुकीला शेप दिया। इसका डिजाइन हल की तरह कर दिया। राम प्रसाद इसे खींचते
हैं| उनके साथ एक व्यक्ति पिछले हिस्से को मिट्टी की ओर दबाता है तो मिट्टी जुतने
लगती है। किसान रामप्रसाद कहते हैं कि अब खेत जोतने में कोई लागत नहीं आती। न
बैलों को खिलाना पड़ता है, न ही ट्रैक्टर में डीजल डलाना पड़ता है। हालाँकि साइकिल को हल बनाने में बहुत मामूली
खर्च भी आया है। साइकिल का हल बनाते वक्त लोगों ने रामप्रसाद जी को पागल तक बोल
दिया। वहीं, लोग अब उनकी तारीफ करते हैं। इस बाबत रामप्रसाद के पड़ोसी किसान मोहम्मद तलहा
कहते हैं कि जो लोग रामप्रसाद के इस काम को करने में इनका मखौल उड़ाते थे आज उनकी तारीफ
कर रहे हैं। वहीं किसान नेता शिव नारायण परिहार का इस बाबत कहना है कि बांदा के इस
किसान ने आत्महत्या की बजाय यह साहसिक कदम उठाया जो बुंदेलखंड के लिए भी बेहद अहम
है; दूसरे किसानों को भी इससे सीखना चाहिए। हालाँकि पहले भी इस तरह का साहस सामने
आ चुका है| बांदा में ही एक किसान के ऐसे ही साहस का मामला कुछ समय पहले सामने आया
था। एक पैर नहीं होने के बावजूद किसान पैर में लाठी बांध कर खेत को जोतता था। एनजीओ
चलाने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर के प्रयास से हालाँकि इस किसान को मदद
मिली थी जबकि तत्कालीन प्रदेश सरकार ने किसान का कृत्रिम पैर भी लगवाया था। साथ ही
सरकार द्वारा 5 लाख की आर्थिक मदद भी दी गई थी। (साभार:भास्कर.कॉम)