भारत की आजादी और पंजाब के विभाजन
के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पूर्वी पंजाब की राजधानी लाहौर
की जगह चंडीगढ़ को बनाया था। भूमि के बड़े टुकड़े पर सबकुछ नया निर्मित किया गया
इसलिए इसे पत्थरों का शहर भी कहा जाता है। फ्रांस के आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए ने
इस शहर का मास्टर प्लान बनाया। उल्लेखनीय है कि भारत की स्वाधीनता के बाद अविभाजित
पंजाब की राजधानी लाहौर, पश्चिमी पंजाब के हिस्से में आया था, जो कि पाकिस्तान में है। स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू
एक योजना के तहत पंजाब की राजधानी ऐसे आधुनिक शहर की तर्ज पर बसाना चाहते थे जो
देश में शहरी विकास का मॉडल बन सके। वर्ष 1948 में पंजाब सरकार ने
भारत सरकार के साथ चर्चा के बाद 24 गांवों में पड़ती 114 वर्ग किलोमीटर भूमि पर राजधानी बनाने की योजना बनाई। वर्ष 1950 में इस परियोजना के
लिए नियुक्त किए गए अमरीकी वास्तुविद मेयर ने नेहरू को लिखा था, ये शहर विश्व में
पिछले तीस साल में शहरी विकास के क्षेत्र में प्राप्त ज्ञान को दर्शाएगा। वर्ष 1952 जब जवाहरलाल नेहरू
चंडीगढ़ को बसाने का निरीक्षण करने आए थे तो उन्होंने कहा था कि यह एक नया शहर
होना चाहिए जो भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक हो, बीते युग की परंपराओं
से मुक्त हो और भविष्य के बारे में राष्ट्र की आस्था को दर्शाता हो। फ्रांसीसी
वास्तुकार ली कार्बूजिए ने चंडीगढ़ के मास्टर प्लान को असली रूप दिया। उन्होंने
कहा था कि यह शहर गरीब से गरीब नागरिक को भी जिंदगी की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगा
ताकि वह मर्यादा से जीवन व्यतीत कर सके। कार्बूजिए की योजना के तहत शहर की आबादी
विकास के पहले चरण में पांच लाख होनी थी। दूसरे चरण के शहरी विकास के बाद इसमें 3.5 लाख अतिरिक्त लोग
जुडऩे थे। आज चंडीगढ़ की आबादी लगभग 12 लाख है। कार्बूजिए की योजना के मुताबिक उत्तरी भाग में प्रशासनिक इलाका
केपिटल कॉम्पलैक्स बनाया गया, पश्चिमी भाग में शिक्षा संस्थान बनाए गए, केंद्र में व्यवसायिक
इमारतों का प्रावधान किया गया। दक्षिण-पूर्वी भाग में रिहायशी इलाकों से परे
औद्योगिक क्षेत्र के लिए जगह रखी गई। रिहायशी इलाका व्यवसायिक इमारतों के आसपास
सेक्टरों में बांटा गया। चंडीगढ़ में पहले चरण में 30 सेक्टर बनाए गए और हर
सेक्टर में पांच हजार से 20 हजार लोगों के रहने का प्रावधान किया गया। शहर के दक्षिणी भाग में मजदूरों और
हाथ का काम करने वालों के लिए घर बनाए गए। इस तरह वर्ष 1953 में अस्तित्व में आए
इस नए शहर ने एक दिशा दिखाई जिसका अनुसरण करते हुए सोच-समझकर योजना के तहत शहरी
विकास किया जा सकता था| (साभार:भास्कर.कॉम)