विगत 5 अप्रैल, मंगलवार को महाकालनगरी उज्जैन में जूना अखाड़ा द्वारा पहली प्रवेशाई निकली| इसके
साथ ही देश के हृदय-प्रदेश मध्य प्रदेश के धार्मिक नगर उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ
2016 का आगाज हो गया| प्रवेशाई का स्वागत करने प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह
चौहान भी पहुंचे| श्री चौहान ने पवित्र क्षिप्रा तट पर स्थित जूना अखाड़े में करीब 7 टन वजनी स्टील से बने
विशालकाय त्रिशूल का लोकार्पण भी किया| आइये जाने इस विशिष्ट त्रिशूल से जुड़ी कुछ खास
बातें:
- यह त्रिशूल नासिक से
बन कर उज्जैन आया है।
- इसकी कीमत लगभग 20 लाख रुपए है।
- इसकी लंबाई करीब 131 फीट है।
- यह स्टेनलेस स्टील से
बना है।
- इस त्रिशूल के साथ
डमरू भी है, वह भी स्टील से ही बना है।
- इसका डमरू और त्रिशूल नासिक में बना है और राड बजाज कंपनी से तैयार कराया गया
है।
क्या है प्रवेशाई?
प्रवेशाई का मतलब सिंहस्थ क्षेत्र में प्रवेश है। ऐसा माना जाता है कि इस
दौरान देवता भी सिंहस्थ में शामिल होते हैं। श्रीमहंत हरि गिरि के मुताबिक, “सिंहस्थ में बनने
वाले योग में देवता भी शामिल होते हैं। चूंकि देवताओं के राजा इंद्र हैं जिनके दरबार
में देवता विराजते हैं। इसलिए इंद्र सहित सभी देवताओं के दर्शन, पूजन और गुरुओं के
दर्शन के लिए प्रवेशाई के तहत साधु-संतों का आगमन होता है”
इन जगहों से निकली प्रवेशाई
प्रवेशाई नीलगंगा से शुरू होकर तीन बत्ती चौराहा, टावर, चामुंडा चौराहा, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, नई सड़क और कंठाल पहुंची।
इसके बाद गोपाल मंदिर, पटनीबाजार, गुदरी, महाकाल, हरसिद्धि, रामानुजकोट, दानीगेट, छोटी रपट होकर दत्त अखाड़ा और वहां से भूखी माता रोड गई| प्रवेशाई महाकाल, हरसिद्धि मंदिर और
दत्त अखाड़ा पर रुकी भी रही| बाद में अखाड़े में पीर संध्या पुरीजी की समाधि पर पूजा-अर्चना
की गई| (साभार:भास्कर.कॉम)