नवरात्र के पहले ही दिन अहमदनगर जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध शनि शिंगणापुर
मंदिर में महिलाओं के पूजा करने संबंधी के पक्ष में फैसला हुआ है। शनि शिंगणापुर मंदिर
ट्रस्ट ने 400 वर्ष से चली आ रही महिलाओं द्वारा पूजा न किये जाने की परंपरा गुड़ी पड़वा के
मौके पर खत्म कर दी है। गौरतलब है कि एलान हुआ कि अब महिलाएं भी चबूतरे पर चढ़कर
शनि भगवान की पूजा कर सकेंगी और उन्हें तेल चढ़ा सकेंगी। इस ऐतिहासिक फैसले से
पहले रोक के बावजूद करीब 250 पुरुषों ने चबूतरे पर चढ़कर शनि की शिला पर तेल और
जल चढ़ाया था। यह सारा घटनाक्रम शुक्रवार को महज ढाई घंटे के अंदर हुआ। इसे भूमाता
ब्रिगेड की लीडर तृप्ति देसाई की जीत कहा जा रहा है। ऐसे चला घटनाक्रम...
सुबह 10.30 बजे पुरुषों ने की पूजा
- महिलाओं को पूजा का हक दिलाने का विवाद बढ़ने के बाद मंदिर ट्रस्ट ने शनि
चबूतरे तक पुरुषों की भी एंट्री बंद कर दी थी। जबकि गुड़ी पड़वा पर यहां शिला पूजन
का रिवाज रहा है।
- एंट्री बैन होने के विरोध में सुबह करीब 250 पुरुषों ने बैरिकेड
और सिक्युरिटी को तोड़ते हुए चबूतरे तक पहुंचे।
- इन पुरुषों ने यहां तेल और प्रवर संगम स्थल से गोदावरी और मूले नदी से लाया
गया जल चढ़ाया।
दोपहर 12 बजे तृप्ति देसाई ने कहा हम भी
मंदिर जाएंगे
- दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिरों में पूजा बुनियादी हक
है। इससे महिलाओं को नहीं रोका जा सकता।
- इसी फैसले के बाद मांग उठी थी कि जब पुरुषों को पूजा की इजाजत है तो महिलाओं
को क्यों न हो?
- विवाद से बचने के लिए शनि शिंगणापुर और बाद में नासिक त्र्यंबकेश्वर मंदिर
ट्रस्ट ने पुरुषों की भी गर्भगृह तक एंट्री रोक दी थी।
- जब शुक्रवार सुबह पुरुषों ने बैरिकेड तोड़कर पूजा की तो महिलाओं के हक की
लड़ाई लड़ रहीं भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने कहा कि हम भी मंदिर में जाकर
पूजन करेंगे। जब पुरुषों को इजाजत दी गई तो महिलाओं को भी हक मिलना चाहिए क्योंकि
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ही ऐसा कहा है।
दोपहर 1 बजे मंदिर ट्रस्ट का ऐतिहासिक
फैसला
- मंदिर ट्रस्ट ने महिलाओं को भी शनि शिंगणापुर के गर्भगृह यानी चबूतरे पर जाकर
तेल चढ़ाने और पूजा करने की इजाजत देने का फैसला किया।
- शनि मंदिर के ट्रस्टी सयाराम बनकर ने कहा कि ट्रस्टियों की आज मीटिंग हुई।
इसमें फैसला किया गया है कि महिलाओं-पुरुषों की एंट्री पर रोक नहीं रहेगी। ऐसा
हमने हाईकोर्ट का आदेश मानने के लिए किया है। हम भूमाता ब्रिगेड की लीडर तृप्ति
देसाई का भी स्वागत करेंगे।
- वहीं, मंदिर ट्रस्ट के प्रवक्ता हरिदास गायवाले ने कहा कि अब किसी के साथ मंदिर
परिसर में भेदभाव नहीं होगा।
क्या कहा तृप्ति देसाई ने?
- तृप्ति देसाई ने इसे महिलाओं की जीत बताया है। उन्होंने एक दूसरे को मिठाइयां
खिलाकर जश्न भी मनाया।
- तृप्ति ने आगे कहा- हमें कई बार धमकियां मिली, लेकिन हम नहीं झुके।
आज इस आंदोलन से जुड़ी हर महिला की जीत हुई है।
क्या कहा महाराष्ट्र के सीएम ने?
- मंदिर कमेटी के फैसले के बाद देवेंद्र फड़णवीस ने कहा- मुझे पूरी उम्मीद है कि
आज के बाद किसी को भी पूजा के लिए नहीं रोका जाएगा। किसी को भी पूजा के लिए पुलिस
की जरुरत नहीं होगी। राज्य सरकार शुरू से ही पूजा के अधिकार के समर्थन में थी।
हाईकोर्ट में भी अपना पक्ष रखा था।
तृप्ति ने लगाया था पक्षपात का आरोप
- भूमाता ब्रिगेड की लीडर तृप्ति ने पहले आरोप लगाया था कि कोर्ट के आदेश के बाद
भी एडमिनिस्ट्रेशन महिलाओं के साथ पक्षपात कर रहा है।
- तृप्ति का कहना था कि जब मंदिर में पुरुषों के प्रवेश पर रोक है, तो फिर आज कैसे
उन्होंने चबूतरे पर चढ़कर पूजा की? अब हमें भी प्रशासन को इजाजत देनी ही होगी।
- तृप्ति ने बताया कि वे संगठन की 8-10 महिलाओं के साथ शनि शिंगणापुर जा रही हैं और वहां वे
पूजा करेंगी।
- यह विवाद बढ़ता, इससे पहले ही मंदिर ट्रस्ट ने महिलाओं को भी पूजा का हक देने का फैसला कर
लिया।
......................................................................................
क्या था विवाद?
1. 400 साल पुरानी परंपरा:
- परंपरा के मुताबिक, शनि मंदिर में 400 साल से किसी महिला को शनि देव के चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने या पूजा करने की
इजाजत नहीं थी।
- 29 नबंवर, 2015 को एक महिला ने शनिदेव के चबूतरे पर जाकर पूजा की और तेल चढ़ाया था। इसके बाद
मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था। इसे लेकर काफी विवाद हुआ।
2. भूमाता ब्रिगेड की मांग
- तृप्ति देसाई ने कहा था- "हाईकोर्ट के आदेश के बाद हम शनि मंदिर के
चबूतरे पर जाकर सम्मानपूर्वक दर्शन करना चाहते थे। कोर्ट के आदेश पर सरकार को अमल
करना चाहिए। सीएम को खुद इस पर पहल करनी है।"
3. सरकार ने क्या कहा था?
- एडवोकेट जनरल रोहित देव ने कहा था, ''संविधान के आर्टिकल 14,15 और 25 के मुताबिक, सरकार पूरी तरह से
जेंडर बेसिस पर भेदभाव के खिलाफ है। सरकार हर नागरिक के फंडामेंटल राइट्स की रक्षा
करेगी।''
- ''अगर स्टेट का कोई मंदिर या कोई शख्स श्रद्धालुओं को जेंडर बेसिस पर बैन करता
है तो सरकार उनकी मदद नहीं करेगी और सख्त कदम उठाएगी।''
- ''प्रदेश के सभी कलेक्टरों और एसपी को एक्ट को कड़ाई से लागू करने के निर्देश
दिए गए हैं।''
4. हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक पीआईएल पर कहा था - ''महाराष्ट्र में
महिलाओं को किसी मंदिर में एंट्री लेने से नहीं रोक सकते। पूजा स्थल पर जाना उनका
फंडामेंटल राइट है। इसकी हिफाजत राज्य सरकार को करनी चाहिए।''
- हाईकोर्ट ने प्रदेश के हिंदू मंदिरों में एंट्री को लेकर बने 1956 के एक्ट का हवाला
दिया था।
- इसके तहत अगर कोई शख्स या मंदिर ट्रस्ट किसी को मंदिर जाने से रोकता है, तो उसे 6 महीने की जेल हो सकती
है।
- किसी भी महिला या पुरुष को मंदिर जाने से रोका जाए तो लोकल अथॉरिटी से शिकायत
की जा सकती है।
5. मंदिर ट्रस्ट इसके खिलाफ था
- हाईकोर्ट के फैसले के बाद मंदिर ट्रस्ट ने भी इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज
करने की बात कही थी।
- वहीं, गांववालों ने भी साफ किया था कि वे प्रतिबंधित इलाके में महिलाओं को घुसने से
रोकेंगे।
- मंदिर ट्रस्ट के प्रवक्ता अनिल दरंडाले का कहना था महिला और पुरुष, दोनों एक निश्चित दूरी
से शिला का दर्शन कर सकते हैं। पिछले दो महीनों से पुरुषों के भी स्पेशल पूजा पर
पाबंदी है।
..................................................................................................
महाराष्ट्र में यहां अब भी है विवाद
- त्र्यम्बकेश्वर मंदिर (नासिक): यहां मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को जाने की
इजाजत नहीं थी। शनि शिंगणापुर मंदिर को लेकर विवाद के बाद पुरुषों के भी गर्भगृह
में जाने पर रोक लगा दी गई।
- म्हसकोबा मंदिर (पुणे): यहां महिलाओं को नवरात्र जैसे खास दिनों पर ही एंट्री
दी जाती है।
- हाजी अली दरगाह (मुंबई): ट्रस्ट का कहना है - "हाजी अली एक पुरुष संत की
मजार है, इसलिए वहां महिलाओं को एंट्री नहीं दी जा सकती।"
- घाटी देवी और सोला शिवलिंग (सतारा): इस मंदिर में भी महिलाओं को पूजा करने की
परमिशन नहीं है।
- महालक्ष्मी मंदिर (कोल्हापुर): यहां अब महिलाओं को पूजा करने दी जाती है।
- वैबातवाड़ी मारुति (बीड़): परंपरा के मुताबिक यहां भी महिलाओं की एंट्री पर बैन
है। (साभार:भास्कर.कॉम)