भारत के मेघालय राज्य की राजधानी शिलॉन्ग से करीब 80 किलोमीटर दूर एक ऐसा गांव
है, जिसे न केवल भारत वरन एशिया का सबसे स्वच्छ गांव का खिताब हासिल है| मौलिन्नोंग नाम
के इस गांव में करीब 500 लोग रहते हैं। यहां 4 साल की उम्र से ही बच्चों को सफाई
के लिए जागरुक किया जाता है। इस गांव को डिस्कवरी इंडिया मैगजीन ने 2003 में एशिया
का सबसे क्लीन विलेज कहा था। ज्ञातव्य है कि गांव की हर सड़क पर बांस से बनी
टोकरियां कचरा जमा करने के लिए रखी होती हैं| यहां 2007 से ही हर घर में टॉयलेट
है| हालांकि, यहां के एक स्थानीय निवासी कहते हैं कि जब से उन्होंने जन्म लिया, गांव तभी से साफ-सुथरा
है। एक शख्स ने कहा कि उन्होंने सुना है कि दादा के जमाने में भी यह साफ था। यहां
प्लास्टिक यूज पर बैन है। सड़कों को खूबसूरत फूलों के पेड़ से सजाया गया है। गौरतलब
है कि सन 2003 से पहले यहां कोई टूरिस्ट घूमने नहीं आते थे, क्योंकि तब तक गांव
में जाने के लिए एक भी सड़क नहीं थी। लोग पैदल ही गांव में पहुंचते थे। गांव में
खसी जनजाति के लोग रहते हैं। एक विलेजर ने बताया कि यहां लोग हर दिन गांव की सफाई
करते हैं क्योंकि उनके पैरेंट्स ने उन्हें ऐसा करना सिखाया है। उन्होंने कहा कि
अच्छे स्वास्थ्य के लिए साफ-सफाई बेहद जरूरी है।