उल्लेखनीय है कि सियाचिन में एवलांच (बर्फ़ीला तूफ़ान) के बाद आर्मी के लांसनायक
श्री हनुमना थप्पा को रेस्क्यू ऑपरेशन के छह दिन बाद 25 फीट बर्फ के नीचे से
जिंदा निकाल लिया गया है। ‘जाको राखे साईंयां मार सके ना कोय’ उक्ति वास्तव में
शाश्वत सत्य है| रेस्क्यू ऑपरेशन में पांच जवानों की डेड बॉडी भी मिली है। बता दें
कि सियाचिन में 3 फरवरी को हुए एवलांच में एक जेसीओ समेत 10 सोल्जर्स का ग्रुप
बर्फ के नीचे दब गया था। घटना के बाद से ही आर्मी रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही थी।
पहले ये माना जा रहा था कि सभी जवान शहीद हो गए हैं। कर्नाटक के श्री हनुमना थप्पा माइनस 40 डिग्री टेम्परेचर में पिछले 6 दिन से
बर्फ के नीचे दबे हुए थे। उन्हें आर्मी के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में एडमिट
कराया गया था। दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में इलाज करा रहे श्री हनुमना थप्पा को प्रधानमंत्री
श्री नरेंद्र मोदी भी देखने पहुंचे।
क्या बोलीं मां, पत्नी? जैसे ही हनुमना थप्पा के
जिंदा होने की खबर मिलने पर परिवार भावुक हो गया।
- मां ने कहा, 'वो मेरे सपने में आया था, बोला था कि लौटकर आऊंगा।'
- पत्नी ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं। उन्हें देखने जाना चाहती हूं।'
कितनी ऊंचाई पर आया था एवलांच?
- न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 3 फरवरी को 19 हजार फीट से ज्यादा की उंचाई पर आर्मी कैम्प के पास सुबह साढ़े आठ बजे के
करीब एवलांच आया था।
- इसमें कैम्प की सदर्न साइट की तरफ पैट्रोलिंग पर निकले 10 जवान फंस गए थे।
- पिछले महीने जनवरी में आए एक एवलांच में लेह-लद्दाख रीजन में आर्मी के चार
जवान शहीद हो गए थे।
हनुमना थप्पा के अलावा हादसे के शिकार 19-मद्रास रेजिमेंट के
अन्य सोल्जर
1) सूबेदार नागेश टीटी (गांव तेजुर, हासन, कर्नाटक)
2) हवलदार एलुमलाई एम (दुक्कम पराई, वेल्लौर, तमिलनाडु)
3) लांस नायक एस कुमार (कुमानन थोजू, तेनी, तमिलनाडु)
4) लांस नायक सुधीश बी (मोनोरोएथुरुत, कोल्लम, केरल)
5) कॉन्स्टेबल महेश पीएन (एचडी कोटे, मैसूर, कर्नाटक)
6) कॉन्स्टेबल गणेशन जी (चोक्काथीवन पट्टी, मदुरै, तमिलनाडु)
7) कॉन्स्टेबल राम मूर्ति एन (गुडिसा टाना पल्ली, कृष्णा गिरी, तमिलनाडु)
8) कॉन्स्टेबल मुश्ताक अहमद (पारनापल्लै, कुरनूल, आंध्र प्रदेश)
9) कॉन्स्टेबल नर्सिंग असिस्टेंट सूर्यवंशी एसवी (मसकरवाड़ी, सतारा, महाराष्ट्र)
आर्मी के लिए क्यों बेहद अहम है सियाचिन?
- हिमालयन रेंज में मौजूद सियाचिन ग्लेशियर वर्ल्ड का सबसे ऊंचा बैटल फील्ड है।
- 1984 से लेकर अबतक करीब 900 सोल्जर्स शहीद हो चुके हैं। इनमें से अधिकांश की
शहादत एवलांच और खराब मौसम के कारण ही हुई है।
- सियाचिन से चीन और पाकिस्तान दोनों पर नजर रखी जाती है। विंटर सीजन में यहां
काफी एवलांच आते रहते हैं।
- सर्दियों के सीजन में यहां मिनिमम टेम्परेचर माइनस 50 डिग्री (माइनस 140 डिग्री फॉरेनहाइट) तक
हो जाता है।
- जवानों के शहीद होने की वजह ज्यादातर एवलांच, लैंड स्लाइड, ज्यादा ठंड के चलते
टिश्यू ब्रेक, एल्टीट्यूड सिकनेस और पैट्रोलिंग के दौरान ज्यादा ठंड से हार्ट फेल हो जाने की
वजह होती है। (साभार:दैनिक भास्कर)