बीते सोमवार को राष्ट्रपति भवन में अनुपम खेर, श्री श्री रविशंकर, सायना नेहवाल और
रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी जैसे 56 नामी-गिरामी और बड़ी
हस्तियों को पद्म अवार्ड से सम्मानित किया गया. इन नामों में एक नाम ऐसा था जो आज
की मीडिया के खांचे में फिट नहीं बैठता. नाम है हलधर नाग जिन्हें ‘लोक कवि रत्न’ के नाम से जाना जाता
है. ओडिशा के बारगढ़ जिले में जन्में हलधर नाग ने बहुत मुश्किल से स्कूली शिक्षा
प्राप्त की है लेकिन पिछले दिनों उन्हें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पद्मश्री
अवार्ड से सम्मानित किया. 66 वर्षीय हलधर नाग कोसली भाषा के एक प्रख्यात कवि हैं. उन्होंने कई कविताएं और 20 महाकाव्य लिखे हैं| हलधर
नाग कभी भी जूते-चप्पल नहीं पहनते हैं. वह कपड़ों मे केवल धोती और बनियान पहनते
हैं. गरीब परिवार में जन्में हलधर नाग केवल तीसरी क्लास तक पढ़े हैं, जब उनके पिता की
मृत्यु हो गई. हलधर की उम्र उस समय 10 साल की थी. हलधर नाग कहते हैं “एक विधवा के बच्चे का जीवन बहुत ही मुश्किल भरा रहता है.” पिता की मृत्यु के बाद
उनके पास काम करने के अलावा कोई चारा नहीं था. वह मिठाई की दुकान में बर्तन मांजने
का काम करने लगे. दो साल बाद गांव के प्रधान ने उन्हें एक स्कूल में बावर्ची का काम दिया. वहां
वह 16 साल तक काम करते रहें. बहुत जल्द ही उस क्षेत्र में और भी स्कूल खुलने लगे.
उनके दिमाग में विचार आया, उन्होंने बैंक से 1000 रुपए का लोन लिया और एक स्टेशनरी की दुकान खोली. इसी दौरान नाग ने अपनी पहली
कविता ‘धोदे बरगच’ 1990 में लिखी. बाद में उन्होंने बहुत सारे महाकाव्य लिख डाले. हलधर नाग अपनी
कविता के जरिए सामाजिक और प्राकृतिक मुद्दों को उठाते हैं. उनका मानना है कि कविता
लोगों को वास्तविक जीवन से रूबरू कराती है.(साभार:जागरणजंक्शन)