अमेरिका की एक शीर्ष अदालत द्वारा पेटेंट चोरी के एक मामले में दिग्गज कम्पनी एप्पल पर 234 मिलियन डॉलर (करीब 1478 करोड़ रुपए) का जुर्माना लगाया गया है। एप्पल को जुर्माने की यह रकम यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन मैडिसन को देनी होगी। एप्पल पर इसी यूनिवर्सिटी की माइक्रोचिप टेक्नोलॉजी का पेटेंट चुराने का आरोप साबित हुआ है। ज्ञातव्य हो कि इस माइक्रोचिप तकनीक को विकसित करने वाली टीम में २ भारतीय भी शामिल हैं | गुरिंदर सोही और टी एन विजयकुमार नाम के ये दोनों ही भारतीय पूर्व में बिट्स-पिलानी के छात्र रहे हैं। मामला यह था कि एप्पल आईफोन 5एस, 6 और नए प्रोडक्ट 6एस में माइक्रोचिप टेक्नोलॉजी A7, A8, और A8X का इस्तेमाल करती है। जबकि यह टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन मैडिसन के रिसर्चर्स ने विकसित की थी। इस टेक्नोलॉजी को विसकॉन्सिन एल्युमनी रिसर्च फाउंडेशन यानि वार्फ (WARF) ने सन 1998 में ही पेटेंट करा लिया था। इस टेक्नोलॉजी से एप्पल के चिप की परफार्मेंस बढ़ गई थी। रिसर्चर का यह काम 'टेबल बेस्ड डाटा स्पेकुलेशन सर्किट फॉर पैररल प्रॉसेसिंग कम्प्यूटर' शीर्षक वाले पेपर में दर्ज है। उन्हें #5781752 पेटेंट नंबर भी मिला था। शीर्ष कोर्ट में पेश दस्तावेज में वार्फ ने यह दावा किया कि सोही और विजयकुमार सहित उसके चार रिसर्चर्स ने उस माइक्रोटेक्नोलॉजी को डेवलप किया, जिसे एप्पल अपने चिप में इस्तेमाल कर रही है। फिर अमेरिका की शीर्ष अदालत ने एक लंबी सुनवाई के बाद पाया कि यूनिवर्सिटी की इस तकनीक को वास्तव में, आईफोन मेकर कंपनी ने बिना परमिशन के ही इस्तेमाल किया था।
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