अगर आपसे कोई ये
कहे कि वह घास की रोटी और गड्ढे का पानी पीता है तो आपको शायद यकीन न हो, लेकिन यह बात पूरी तरह से सच है। वर्तमान में
बुंदेलखंड में रहने वाले लोग यही खा पीकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। हालांकि यह
सब वहां बढ़ती गरीबी के कारण हो रहा है। बुंदेलखंड में आजकल जनजीवन काफी बेहाल हैं।
किसानों पर गरीबी का असर साफ देखने को मिल रहा है। यहां पर सूखे का भी प्रकोप हैं।
जिससे अब यहां पर खाने पीने और पहनने के लिए लोगों के पास कुछ नहीं हैं। यहां पर
बच्चों से लेकर बड़े तक सब मजबूर होकर नदी-तालाब का गंदा पानी पी रहे हैं। अगर
कहीं से लोगों को तनिक भी पानी मिलता है तो वे जैसे नया जीवन पाते हैं। हालांकि यह
पानी कई बार उनके लिए नुकसानदेय भी हो रहा है। लोग बूंद बूंद पानी का हिसाब रखते
हैं। यहां कई इलाकों में के हैंडपंप सूख गए हैं। पानी की वजह से फसलें भी सूखती जा
रही हैं। जिसेसे अब यहां के निवासियों को भोजन भी नहीं ठीक से मिल रहा है। लोगों
को कई कई दिनों तक बिना भोजन के गुजारा करना पड़ रहा है। घास की रोटियां बनाकर लोग
खा रहे हैं। वहीं बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिलने से बच्चे कुपोषण के शिकार
हो रहे हैं। सिर्फ इंसानों का ही नहीं जानवरों का भी बुरा हाल है। यहां पर चारा
नहीं होने की वजह से जानवर भी दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड
ब्यूरो की रिपोर्ट की माने तों बुंदलेखंड में 2009 में 568 किसानो ने आत्महत्या
की। इसके बाद 2010 में 583,
2011 में 519, 2012 में 745, 2013 में 750 और 2014 में 58 किसानों ने जान दी। हालांकि सरकार यहां पर लोगों की मदद करने का प्रयास कर
रही है। यहां पर मिल्क पाउडर और तेल, घी बांट रही है, लेकिन लोगों का
कहना है कि जब पानी नहीं है तो वे इसका उपयोग कैसे कर पाएंगे। गौरतलब है कि
बुंदेलखंड में हालात पिछले कई वर्षों से बिगड़ते जा रहे हैं। लोग आत्महत्या करने
को मजबूर हो रह हैं। जिनमें किसानों की संख्या अधिक हैं। सरकार के लाख प्रयास के
बाद भी स्थितियां नहीं सुधर रही हैं।(साभार:आईनेक्स्टलाइव.जागरण.कॉम)