मिडल क्लास फैमिली में पैदा हुए लुधियाना के त्रिशनित अरोड़ा का बपचन से ही
पढ़ाई में मन नहीं लगता था। अरोड़ा की कम्प्यूटर में इतनी रुचि थी कि सारा समय इसी
में चला जाता, बाकी सब्जेक्ट्स की तैयारी के लिए उनके पास समय ही नहीं होता था। सूत्रों के
अनुसार आठवीं क्लास के दौरान भी त्रिशनित अरोड़ा की कम्प्यूटर और इथिकल हैकिंग में गहरी
दिलचस्पी थी। कम्प्यूटिंग पढ़ने में त्रिशनित अरोड़ा इतने मग्न हो गए कि आगे दो पेपर
ही नहीं दिए और फेल हो गए| इस पर मम्मी-पापा ने उन्हें खूब डांटा। दोस्त और परिवार
के लोग भी मजाक उड़ाते रहे लेकिन त्रिशनित ने हिम्मत नहीं छोड़ी। हालाँकि फेल होने
के बाद त्रिशनित ने रेग्युलर पढ़ाई छोड़ दी और आगे 12वीं तक की पढ़ाई
उन्होंने कॉरेस्पॉन्डेंस से की। इसके साथ ही साथ वे कम्प्यूटर और हैकिंग के बारे में
भी लगातार नई जानकारियां इकट्ठा करते रहे हालाँकि उनकी हाउसवाइफ मां और अकाउंटेंट
पिता को उनका यह काम जरा भी पसंद नहीं था| लेकिन त्रिशनित तो कम्प्यूटर में ही अपने
शौक को ही अपना करिअर बनाने का फैसला कर चुके थे। शुरुआत में उनकी बातें सुन कर
लोग मुस्कुरा देते थे। मीडिया भी गंभीरता से नहीं लेता था। लेकिन फिर वह अपने काम
के जरिए साबित करते रहे कि कैसे विभिन्न कंपनियों का डाटा चुराया जा सकता है और इन
दिनों हैकिंग के क्या नए-नए तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं। धीरे-धीरे उनके काम को
मान्यता मिलने लगी। कंपनियां उनके काम को सराहने लगीं। और आज तो सीबीआई से लेकर
रिलायंस इंडस्ट्रीज भी त्रिशनित अरोड़ा की कंपनी के क्लाइंट
हैं| जी हाँ एक साल पहले जब उनकी उम्र 21 वर्ष की थी, उन्होंने टीएसी सिक्युरिटी नाम की एक साइबर सिक्युरिटी कंपनी बनाई जिसके वर्तमान
में वो सीइओ हैं| त्रिशनित अब रिलायंस, सीबीआई, पंजाब पुलिस, गुजरात पुलिस, अमूल और एवन साइकिल जैसी कंपनियों को साइबर से जुड़ी सर्विसेज दे रहे हैं। वे ‘हैकिंग टॉक विद
त्रिशनित अरोड़ा’, ‘दि हैकिंग एरा’ और ‘हैकिंग विद स्मार्ट फोन्स’ जैसी किताबें भी लिख चुके हैं। उनके काम को लेकर 2013 में गुजरात में पूर्व
केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी उन्हें सम्मानित किया। जबकि 2014 में इसी काम को लेकर
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने गणतंत्र दिवस पर त्रिशनित को ‘स्टेट अवार्ड’ भी दिया।
वहीं 2015 में उनको फिल्म एक्टर आयुष्मान खुराना सहित सात हस्तियों के साथ पंजाबी आइकॉन
अवार्ड से सम्मानित किया गया| फिलहाल 22 साल के त्रिशनित का कहना है कि फेल होने के बाद उन्हें समझ में आया कि ‘पैशन’ के आगे पढ़ाई मायने
नहीं रखती| यद्यपि वह अपने काम में व्यस्त हैं, लेकिन पढ़ाई को छोड़ना
नहीं चाहते। भविष्य में वक्त मिलने पर मैनेजमेंट के साथ वह ग्रेजुएशन करने की
इच्छा रखते हैं| हालांकि, वह डिग्री या फॉर्मल एजुकेशन को कामयाबी या जीवनयापन के लिए जरूरी नहीं मानते।
वह कहते हैं कि स्कूली पढ़ाई को उतना ही महत्व दीजिए जितना जरूरी है। ये जीवन का
हिस्सा है लेकिन पूरा जीवन नहीं है। वे कहते हैं कि असफलताओं से कभी निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि असफलताएं ही
आगे बढ़ने का रास्ता बताती हैं और आपको अपने मजबूत पक्ष का बेहतर पता चलता है। (साभार
: भास्कर.कॉम)
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क्या है इथिकल हैकिंग?
इथिकल हैकिंग में नेटवर्क या सिस्टम इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी इवैल्युएट
की जाती है। सर्टिफाइड हैकर्स इसकी निगरानी करते हैं, ताकि कोई नेटवर्क या
सिस्टम (कम्प्यूटर) इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी तोड़कर कॉन्फिडेन्शियल चीजें न
तो उड़ा सके और न ही वायरस या दूसरे मीडियम्स के जरिए कोई नुकसान पहुंचा सके।
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