केंद्रीय सतर्कता आयोग (CENTRAL VIGILANCE COMMISSION) भी देश में है और उसके वर्तमान अध्यक्ष श्री पी.के. श्रीवास्तव जी उसका सशक्त नेतृत्व कर रहे हैं, के बारे में देश के अधिकांश देशवासी नहीं जानते हैं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि हम न तो सतर्क हैं और न ही जागरूक हैं, अर्थात हमारे ज्ञान का क्षेत्र अधूरा है और सर्वविदित है कि अधूरा ज्ञान सदैव हानिकारक होता है। स्पष्ट संसदीय भाषा में कहें तो उक्त अधूरापन हमारे और हमारे देश के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध हो रहा है। चूंकि अधूरा ज्ञान एवं असतर्कता अर्थात आलस्य ही भ्रष्टाचार का जन्मदाता माना जाता है, जिसके फलस्वरूप हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़े हुए हैं और विद्वान होते हुए भी विकासशील देशों की सूची में 135वें स्थान पर बैठे हुए हैं।
कितने दुर्भाग्य की बात है कि सदाचारी भारत माता को भ्रष्टाचार रूपी राक्षस ने वर्षों से अपने विकराल पंजों में जकड़ रखा है और भारत माता के सपूत एवं सशक्त हस्ताक्षर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अपने सहयोगियों सहित भ्रष्टाचार का बाल भी बांका नहीं कर सके। हालॉंकि उन्होंने भ्रष्टाचारमुक्त भारत बनाने की शपथ भी ली हुई है और उसी शपथ के नाम पर वे चुनाव भी जीते थे। परन्तु भ्रष्टाचार रूपी राक्षस अभी भी खुल्लमखुल्ला अट्टहास ही नहीं बल्कि तॉंडव नृत्य कर रहा है और मात्र माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ही नहीं बल्कि गणतंत्र भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी.वाई. चंद्रचूड़ जी एवं महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी भी मात्र रुदन कर रहे हैं।
मैं यह भी भलीभॉंति जानता हूॅं कि उपरोक्त स्पष्ट लेखन के आधार पर ही मुझे चारों ओर सरकारी संस्थानों में दुत्कारा जाता है और इसी स्पष्टवादिता के आधार पर ही भ्रष्टाचारियों ने मुझ पर देशद्रोह जैसे कलॅंकित आरोप लगाकर मेरी देशभक्ति को भी कलॅंकित कर दिया था। यही कारण हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार पर सबसे लम्बी ग़ज़ल/सजल लिखने का विश्व कीर्तिमान स्थापित करने के उपरांत भी मैं गणतंत्र भारत में नितांत अकेला रह गया हूॅं। यहॉं तक कि आज करवाचौथ जैसे सुनहरे और पवित्र त्योहार में भी अकेलेपन का रसपान कर रहा हूॅं।
परन्तु सौभाग्यवश, मेरा विश्वास कहता है कि युद्धस्तर पर छेड़ा गया यह संघर्ष एक न एक दिन गहरा रंग अवश्य लाएगा और मेरी व्यथात्मक साधना को सम्पूर्ण गणतंत्र भारत गले लगाएगा। इसके साथ ही भारत सरकार के एसएसबी विभाग द्वारा मुझे बलपूर्वक दी जा रही असंवैधानिक "पागल की पेंशन" भी अवश्य बन्द की जाएगी, उस दिन मेरी ऑंखों से निरंतर बहते ऑंसूओं की निर्मल धारावाहिक कहानी पर अर्धविराम या अल्पविराम ही नहीं बल्कि पूर्णविराम लगेगा। उस दिन मेरी धर्मपत्नी का वास्तविक करवाचौथ होगा और मैं परिवार सहित दीपावली का त्यौहार धूमधाम से मनाऊंगा।
क्योंकि प्रकृति परिवर्तनशील है और परिवर्तन एक न एक दिन भ्रष्टाचार को सदाचार में अवश्य परिवर्तित कर देगा। चूंकि भ्रष्टाचार की भट्ठी में सदैव अंगारे दहकते हैं और सदाचार की गोद में प्रायः ममतामय सुकून मिलता है।
इसलिए भ्रष्टाचार का सम्पूर्ण विरोध करते हुए, राष्ट्र के प्रति अपने समर्पण के विश्वास पर अटल हूॅं, जिसमें देखना बाकी है कि "केंद्रीय सतर्कता आयोग" के माननीय विद्वान अध्यक्ष श्री पी.के. श्रीवास्तव जी के होते हुए, भ्रष्टाचार कब तक सदाचार पर भारी पड़ता है, कब तक माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एन. कोटेश्वर सिंह जी के नेतृत्व में वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीश एसएसबी, डॉ राममनोहर लोहिया एवं सफदरजंग चिकित्सालय के भ्रष्ट मनोरोग चिकित्सकों को समय पर समय देते हुए, मेरे जैसे विद्वान की विद्वता का गला घोंटकर असंवैधानिक "पागल की पेंशन" को जारी रखते हैं और कब तक भारतीय "भ्रष्टाचार की भट्ठी" में दहकते हुए "सदाचार की गोद" के सुकून का त्याग करते हैं? सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पीटीशनर इन पर्सन)।
वरिष्ठ लेखक व पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
घर अंक 01, वार्ड अंक 03, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जिला जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।