कहते हैं कि दूसरों के जीवन, घर अथवा देश में झॉंकना बुरी बात है। परन्तु वर्तमान युग तो पारदर्शी है। हमारा सम्पूर्ण भारत "पारदर्शी" है और "पारदर्शी भारत" के नाम से विश्व विख्यात है। इसके बावजूद हमारा देश माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में और माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी की छत्रछाया में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिन दोगुनी और रात चौगुनी वृद्धि कर रहा है। जो प्रत्येक भारतीय के लिए गौरवान्वित है।
उल्लेखनीय है कि यह सब ईश्वरीय कृपा नहीं बल्कि दूसरों पर ध्यानाकर्षित करने का सुखद परिणाम है। चूॅंकि दूसरे क्या कर रहे हैं, क्या खा रहे हैं, क्या पहन रहे हैं, क्या क्रय और विक्रय कर रहे हैं, उनकी शक्ति कितनी है, उनके पास धन, बुद्धि और विवेक कितना है, उनकी राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक युद्ध क्षमता कितनी है, उनके पास खाद्यान्न भण्डारण क्षमता क्या है, उनके पट्टाधारी कुत्ते कितने हैं जो स्वामी के कहने पर भौंकते अथवा काटते हैं अर्थात उनके दुर्दांत आतंकवादी कितने हैं? यह सब दूसरों के जीवन, घर अथवा देश में झॉंकने से ही संभव होता है और व्यक्ति का व्यक्तित्व, जीवन, घर-परिवार अथवा देश आत्मनिर्भर एवं सुरक्षित हो जाता है।
यद्यपि ऐसा नहीं किया जाए तो निस्संदेह शत्रु वर्ग आपको कच्चा चबा जाएंगे। आपकी अनुपम अच्छाइयों को सार्वजनिक बुराइयॉं दर्शा कर घर, गली, मुहल्ले, कस्बे, तहसील, जिला, मंडल, राज्य, बिरादरी, देश अथवा विश्व में कलॅंकित कर देंगे। उन्हें आपके यश को अपयश में परिवर्तित करने में देरी नहीं होगी। वह आपकी ख्याति, विख्याति को कब कुख्याति में बदल दें, आपकी उपलब्धियों को नकारात्मक बताते हुए आपके कीर्तिमानों की नैतिकता को अनैतिकता बताकर कब आपको अपमानित कर दें? उपरोक्त कृतघ्नों का आपको पता भी नहीं चलेगा?
चूॅंकि वह चतुर-चालाक ही नहीं बल्कि क्रूरतापूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं और शाम, दाम, दण्ड, भेद की नीतियों से निपुण भी होते हैं। वह अथाह सागर से भी गहरे षड्यंत्रकारी होते हैं जिनके चेहरे भले गोरे हों परन्तु मन मस्तिष्क के काले होते हैं। आचार विचार से उनका कोई लेना देना नहीं होता और दुराचारियों में वह सर्वोच्च स्थान पर विराजमान होते हैं। यह बहरूपिए किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं अर्थात यह पड़ोसी देश के रूप में, पैतृक विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के रूप में, पड़ोसियों के रूप में, न्यायाधीशों के रूप में, मित्रों के रूप में, सगे संबंधियों के रूप में, बिरादरियों के रूप में, साहित्यकारों के रूप में, और तो और सगे भाई एवं सगी भाभियों के रूप में "घर का भेदी लॅंका ढाए" लोकोक्ति के आधार रावण के भाई "विभीषण" की भूमिका निभाते हुए पाए जाते हैं। ऐसे पट्टाधारी कुत्ते बहरूपियों से सदैव बचना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है।
अतः अपने आत्मसम्मान एवं सुरक्षा हेतु उनसे बचाव का एक मात्र उपाय यही है कि उनकी भेदभाव युक्त क्रूरतापूर्ण गतिविधियों पर निरंतर गिद्ध दृष्टि जमाते हुए, उनके जीवन, घर अथवा देश में चौबीस घंटे, प्रत्येक दृष्टिकोण एवं खुली ऑंखों से "संवैधानिक" ही नहीं बल्कि "अंतरराष्ट्रीय विधिक मौलिक अधिकारों" के अंतर्गत सद्भावनापूर्ण "झॉंका" जाए। सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पीटीशनर इन पर्सन)।
वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लेखक व राष्ट्रीय पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, आरएसएस का स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जनपद जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।